उत्तराखंड में सामने आए बहुचर्चित भूमि घोटाले को लेकर शासन ने सख्त कदम उठाए हैं। हरिद्वार नगर निगम द्वारा सराय गांव में खरीदी गई 33 बीघा जमीन को लेकर अनियमितताओं के आरोप सामने आने के बाद अब तक 12 अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई हो चुकी है।
यह जमीन साल 2024 में नगर निकाय चुनावों के दौरान खरीदी गई थी, जब आचार संहिता लागू थी। आरोप है कि जमीन की वास्तविक कीमत लगभग 13 करोड़ रुपये थी, लेकिन इसे करीब 54 करोड़ रुपये में खरीदा गया। यही नहीं, जमीन की श्रेणी बदलकर इसे कृषि से गैर-कृषि में तब्दील किया गया, जिससे इसकी कीमत कृत्रिम रूप से बढ़ाई गई। यह पूरी प्रक्रिया महज 6 दिनों में निपटा दी गई, जो नियमों के खिलाफ है।
शासन ने इस मामले में तत्कालीन जिलाधिकारी कर्मेन्द्र सिंह, तत्कालीन नगर आयुक्त वरुण चौधरी और तत्कालीन उप जिलाधिकारी अजयवीर सिंह सहित कुल सात अफसरों को निलंबित कर दिया था। अजयवीर सिंह को पहले ही आरोप पत्र जारी किया जा चुका है, और उन्होंने 16 सितंबर 2025 को अपने जवाब में सभी आरोपों को खारिज किया। अब शासन ने उनके खिलाफ निष्पक्ष जांच के लिए अपर सचिव आनंद श्रीवास्तव को जांच अधिकारी नियुक्त किया है, जिन्हें एक महीने में रिपोर्ट देनी है। बाकी दो वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ जांच की जिम्मेदारी सचिव सचिन कुर्वे को सौंपी गई है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि राज्य सरकार भ्रष्टाचार के प्रति शून्य सहिष्णुता की नीति पर काम कर रही है और किसी भी स्तर की अनियमितता पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
इस घोटाले का खुलासा हरिद्वार में नई मेयर किरण जैसल के पदभार संभालने के बाद हुआ, जब उन्होंने इस जमीन खरीद की फाइलों की जांच कराई। इसके बाद मामला मुख्यमंत्री तक पहुंचा और जांच तेज कर दी गई।
अब जांच रिपोर्ट आने के बाद यह तय होगा कि इस घोटाले में और कौन-कौन से अधिकारी शामिल थे और उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की जाएगी।
