कुंभकरण की 20 साल पुरानी रहस्यमयी मौत के मामले में नया मोड़ आ गया है। यह मामला अब हाईकोर्ट तक पहुंच गया है। कोर्ट ने गोरखपुर पुलिस को प्रशासनिक अफसर की निगरानी में दोबारा जांच के आदेश दिए हैं।
दरअसल उत्तरप्रदेश के गोरखपुर के पीपीगंज के बढ़नी गांव निवासी कुम्भकरण साल 2005 में पंजाब में काम करने के लिए गया था। कुछ समय बाद गुलरिहा इलाके की एक युवती, जो उसके साथ गई थी, लौटकर आई और परिवार को बताया कि कुंभकरण की मौत सर्पदंश (सांप के काटने) से हो गई। लेकिन उसकी लाश कभी नहीं मिली। इस संदिग्ध परिस्थिति से परेशान होकर कुंभकरण की बहन सुमित्रा ने पहले पुलिस से गुहार लगाई और बाद में मामला कोर्ट में ले गई।
पुलिस की शुरुआती जांच में सर्पदंश से मौत की बात कही गई थी और चार्जशीट में भी यही कारण दर्ज किया गया। हालांकि, शव का कोई सुराग नहीं मिलने से परिवार पूरी तरह संतुष्ट नहीं था।
सुमित्रा द्वारा हाईकोर्ट में याचिका दायर किए जाने के बाद कोर्ट ने मामले को गंभीर मानते हुए पुन: जांच का आदेश दिया। कोर्ट ने निर्देश दिया कि जांच किसी प्रशासनिक अधिकारी की निगरानी में हो।
इसके बाद कैंपियरगंज के क्षेत्राधिकारी (सीओ) को जांच सौंपी गई। वह हाल ही में चंडीगढ़ पहुंचे, जहां से उन्होंने पीजीआई से 20 साल पुरानी पोस्टमार्टम रिपोर्ट की प्रमाणित कॉपी मंगाई। रिपोर्ट में मौत का कारण एक बार फिर सर्पदंश ही बताया गया है।
सुमित्रा का कहना है कि चंडीगढ़ में उसे जानकारी मिली थी कि कुंभकरण के साथ गए भोला नामक व्यक्ति ने स्थानीय अधिकारियों को लिखित में यह कहा था कि पोस्टमार्टम न कराया जाए। वहीं, एक नौकर ने सुमित्रा को बताया था कि कुंभकरण को कहीं दूर भेज दिया गया था। इन बयानों ने मामले को और जटिल बना दिया है।
गोरखपुर के एसपी नॉर्थ जितेंद्र कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि हाईकोर्ट के निर्देश पर मामले की दोबारा जांच की जा रही है। कैंपियरगंज के सीओ को जांच का जिम्मा दिया गया है। सभी साक्ष्य इकट्ठा किए जा रहे हैं और जल्द ही पूरी रिपोर्ट एसएसपी के माध्यम से हाईकोर्ट को भेजी जाएगी।