उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित भगवान शिव के चतुर्थ केदार रुद्रनाथ महादेव मंदिर के कपाट शुक्रवार को परंपरा और वैदिक विधि-विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। पंचकेदारों में शामिल इस दिव्य धाम में ब्रह्म मुहूर्त में मंदिर के मुख्य पुजारी द्वारा अंतिम पूजा-अर्चना सम्पन्न की गई। इस पावन अवसर पर मंदिर प्रांगण ‘हर हर महादेव’ के जयकारों से गूंज उठा, और श्रद्धालुओं ने अगले वर्ष यात्रा पुनः शुरू होने की आशा के साथ भगवान का दर्शन किया।
कपाट बंद होने के बाद भगवान रुद्रनाथ की उत्सव डोली को शीतकालीन गद्दीस्थल गोपीनाथ मंदिर, गोपेश्वर के लिए रवाना किया गया। अब अगले छह महीनों तक श्रद्धालु भगवान रुद्रनाथ की पूजा-अर्चना गोपेश्वर में ही कर सकेंगे।
सुबह चार बजे से प्रारंभ हुई पूजा के बाद, करीब सुबह 6 बजे कपाट बंद किए गए और साढ़े सात बजे डोली ने रुद्रनाथ से प्रस्थान किया। डोली पंचगंगा, पितृधार, पनार बुग्याल, मोली बुग्याल होते हुए सगर गांव पहुंचेगी, जहां भगवान को नए अन्न का भोग लगाया जाएगा। सूर्यास्त से पहले डोली गोपीनाथ मंदिर में विराजमान हो जाएगी।
कपाट बंद होते समय भगवान को 251 मंदार (बुखला) पुष्पगुच्छों से ढका गया। ये फूल अगले वर्ष कपाट खुलने पर प्रसाद के रूप में श्रद्धालुओं को वितरित किए जाएंगे। गोपीनाथ मंदिर में छह माह तक भगवान की पूजा संपन्न होती रहेगी।
मुख्य पुजारी सुनील तिवारी ने बताया कि परंपराओं का पूर्ण पालन करते हुए, पूजा-अर्चना और डोली यात्रा की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई थीं। भगवान को हर स्थान पर नए अन्न का भोग अर्पित किया जाएगा, जो आगामी फसल के आगमन और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
