उत्तराखंड में पंचायत चुनाव की सरगर्मी अपने चरम पर है। इसी बीच रुद्रप्रयाग जिले में जिला पंचायत चुनाव दिलचस्प मोड़ लेता नजर आ रहा है। नामांकन प्रक्रिया के आखिरी दिन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस—दोनों ही प्रमुख दलों को बड़ा झटका लगा है। टिकट वितरण को लेकर गहरी नाराजगी सामने आ रही है और कार्यकर्ताओं ने खुलेआम बगावत का बिगुल फूंक दिया है।
भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों में टिकट वितरण को लेकर भारी असंतोष देखने को मिला है। भाजपा ने सभी 18 जिला पंचायत सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं, जबकि कांग्रेस ने केवल 10 सीटों पर ही अपने उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। बाकी सीटों पर असंतुष्ट कार्यकर्ताओं ने निर्दलीय के रूप में नामांकन दाखिल कर चुनावी जंग में उतरने का ऐलान कर दिया है।
भाजपा के लिए ल्वारा, त्रियुगीनारायण और सुमाड़ी सीटें खासा सिरदर्द बन गई हैं। ल्वारा सीट पर पैराशूट प्रत्याशी को टिकट मिलने से स्थानीय कार्यकर्ताओं में रोष है। यहां से नाराज होकर सुबोध बगवाड़ी ने पार्टी के खिलाफ नामांकन दाखिल कर दिया है। उन्हें कांग्रेस का भी अप्रत्यक्ष समर्थन प्राप्त है, क्योंकि कांग्रेस ने इस सीट पर अपना उम्मीदवार नहीं उतारा है।
कांग्रेस भी आंतरिक असंतोष से अछूती नहीं रही। चोपता, रतूड़ा और सुमाड़ी वार्ड में पार्टी कार्यकर्ताओं ने टिकट न मिलने पर बगावत कर दी है। चोपता से संपन्न नेगी और बलदेव नेगी ने पार्टी निर्णय के खिलाफ निर्दलीय रूप से नामांकन दाखिल किया है। रतूड़ा और सुमाड़ी में भी कई पुराने कार्यकर्ताओं ने पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
इस बार के पंचायत चुनावों में स्थानीय बनाम बाहरी प्रत्याशी का मुद्दा खासा गर्म है। दोनों ही राष्ट्रीय दलों द्वारा स्थानीय कार्यकर्ताओं की अनदेखी कर बाहरी चेहरों को मौका देना उन्हें भारी पड़ता दिख रहा है। कार्यकर्ताओं की बगावत से साफ संकेत मिल रहे हैं कि इस बार चुनाव में कई सीटों पर भाजपा और कांग्रेस को तगड़ा नुकसान हो सकता है।