“अगर तेरा पति घर नहीं आया, तो मैं रात को तेरे घर आकर तेरे साथ गलत काम करूंगा…” — इस तरह की धमकी और फिर दुष्कर्म की कोशिश का आरोप लगाने वाले मामले में अदालत ने आरोपी को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया। अदालत ने कहा कि पीड़िता और उसके पति के बयानों में इतने बड़े विरोधाभास हैं कि पूरे मामले की सच्चाई संदेह के घेरे में आ गई है।
अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश देहरादून रजनी शुक्ला ने 13 अक्टूबर को फैसला सुनाते हुए आरोपी दिनेश कुमार को छेड़खानी और दुष्कर्म की कोशिश के आरोपों से मुक्त कर दिया। कोर्ट ने टिप्पणी की कि पीड़िता द्वारा धमकी मिलने का जो दावा किया गया, वह विश्वसनीय नहीं है।
सुनवाई के दौरान यह बात सामने आई कि घटना के बाद किसने किसे फोन किया — इस पर पीड़िता और उसके पति के बयानों में मेल नहीं था। इस विरोधाभास ने अभियोजन पक्ष की कहानी को कमजोर कर दिया। इसके अलावा, मामले की जांच में महिला पुलिस अधिकारी की नियुक्ति नहीं की गई थी, जिसे अदालत ने गंभीर लापरवाही माना।
कोर्ट ने यह भी कहा कि जांच की गुणवत्ता बेहद खराब रही और बयानबाज़ी में इतने असंगत तथ्य सामने आए कि आरोपी के खिलाफ कोई ठोस आधार नहीं बन पाया। इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए अदालत ने आरोपी को बरी कर दिया।
