उत्तराखंड में 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी के भीतर आपसी मतभेद खुलकर सामने आने लगे हैं। देहरादून स्थित प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में उस समय हलचल मच गई, जब प्रदेश महामंत्री नीरज त्यागी अचानक धरने पर बैठ गए।
नीरज त्यागी का कहना है कि उनका यह कदम किसी नाराजगी का नहीं, बल्कि *विचारधारा की लड़ाई* का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि जब देश की आजादी की लड़ाई लड़ी जा रही थी, तब कांग्रेसजनों ने जमीन पर बैठकर ही आंदोलन की शुरुआत की थी। “आज जब हमें बीजेपी जैसी ताकत से मुकाबला करना है, तो हमारे अंदर कुर्सी का अहंकार पनप रहा है। इस अहंकार को खत्म करने के लिए मैंने जमीन पर बैठने का फैसला लिया है,”
त्यागी ने पार्टी नेताओं को नसीहत दी कि अब उन्हें बड़ी और गद्देदार कुर्सियों का मोह छोड़ देना चाहिए, ताकि जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं को समानता और सम्मान का एहसास हो सके। उन्होंने कहा, “कांग्रेस की असली ताकत वे कार्यकर्ता हैं जो बिना किसी पद के वर्षों से पार्टी के लिए काम कर रहे हैं।”
नीरज त्यागी ने आगे कहा कि कांग्रेस न्याय, समानता, धर्मनिरपेक्षता और भाईचारे जैसे चार स्तंभों पर टिकी हुई है। उन्होंने जोड़ा “जब तक पार्टी के बड़े और छोटे कार्यकर्ता एक साथ जमीन पर नहीं बैठेंगे, तब तक यह समानता केवल भाषणों में ही रहेगी।
मामला दरअसल 29 अक्टूबर का है, जब नीरज त्यागी रोज की तरह पार्टी मुख्यालय पहुंचे थे। इस दौरान, प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना की अनुपस्थिति में नीरज त्यागी उनकी कुर्सी पर बैठ गए। तभी श्रम कांग्रेस के अध्यक्ष दिनेश कौशल ने उन्हें वहां से उठने के लिए कहा। इसी बात को लेकर दोनों के बीच बहस हो गई।
इस घटना के बाद नीरज त्यागी ने गांधीवादी तरीके से धरना देकर यह संदेश दिया कि कांग्रेस में पुराने और समर्पित कार्यकर्ताओं का सम्मान हर हाल में बना रहना चाहिए।


