उत्तराखण्ड गढ़वाल चारधाम यात्रा देहरादून धर्म/संस्कृति हिल दर्पण

आस्था का उमड़ा सैलाब………….चतुर्थ केदार रूद्रनाथ मंदिर के कपाट खुले, जलाभिषेक

खबर शेयर करें -

 पंच केदार में चतुर्थ केदार रुद्रनाथ मंदिर के कपाट शनिवार सुबह 5 श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। मंदिर के कपाट खुलते ही मौके पर करीब 200 तीर्थ यात्रियों ने भगवान रुद्रनाथ के दर्शन किए। मुख्य पुजारी वेद प्रकाश भट्ट ने भगवान रुद्रनाथ का जलाभिषेक किया। इस वर्ष मंदिर की पूजा-अर्चना की जिम्मेदारी प्रधान पुजारी वेदप्रकाश भट्ट पर है।

यह भी पढ़ें 👉  फेक आईडी से प्रेम जाल.....किशोरी से मिलने पहुंचा रिहान, ऐसे खुला राज

रुद्रनाथ मन्दिर भारत के उत्तराखण्ड राज्य के चमोली जिले में स्थित भगवान शिव का एक मन्दिर है जो कि पंचकेदार में से एक है। समुद्रतल से 2290 मीटर की ऊंचाई पर स्थित रुद्रनाथ मंदिर भव्य प्राकृतिक छटा से परिपूर्ण है। रुद्रनाथ मंदिर में भगवान शंकर के एकानन यानि मुख की पूजा की जाती है, जबकि संपूर्ण शरीर की पूजा नेपाल की राजधानी काठमांडू के पशुपतिनाथ में की जाती है।

यह भी पढ़ें 👉  दुस्साहस....युवक पर झोंके फायर, दो आरोपी गिरफ्तार

रुद्रनाथ मंदिर के सामने से दिखाई देती नन्दा देवी और त्रिशूल की हिमाच्छादित चोटियां यहां का आकर्षण बढाती हैं। रुद्रनाथ के कपाट परंपरा के अनुसार खुलते-बंद होते हैं। शीतकाल में छह माह के लिए रुद्रनाथ की गद्दी गोपेश्वर के गोपीनाथ मंदिर में लाई जाती है जहां पर शीतकाल के दौरान रुद्रनाथ की पूजा होती है।

यह भी पढ़ें 👉  छात्राओं से छेड़छाड़.....चरम पर नशे का कारोबार, ये स्थान असुरक्षित
हिल दर्पण डेस्क

हिल दर्पण डेस्क

About Author

"हिल दर्पण" उत्तराखण्ड तथा देश-विदेश की ताज़ा ख़बरों व समाचारों का एक डिजिटल माध्यम है। अपने विचार अथवा अपने क्षेत्र की ख़बरों को हम तक पहुंचानें हेतु संपर्क करें। धन्यवाद! Email: [email protected]

You may also like

उत्तराखण्ड धर्म/संस्कृति बागेश्वर

उत्तराखंड को माना जाता है शिवजी का ससुराल, यह है मान्यता      

खबर शेयर करें -उत्तराखंड में कई प्राचीन शिव मंदिर हैं जिनके बारे में मान्यता है कि सच्चे मन से मांगी
उत्तराखण्ड देहरादून मौसम

*मौसम विभाग की चेतावनी- पहाड़ों में होगी बारिश और बर्फबारी, कोहरे की आगोश में रहेंगे यह जिले*

खबर शेयर करें -देहरादून। उत्तराखंड में एक बार फिर मौसम बदलने को तैयार है। इस बीच उच्च हिमालयी क्षेत्रों में