भारत और पड़ोसी देशों में लगातार आ रहे भूकंप के बीच अभी और खतरे के संकेत मिल रहे हैं। जनवरी से सितंबर 2025 के बीच भारत और इसके पड़ोसी देशों में कुल 1467 भूकंप दर्ज किए गए हैं, यानी हर दिन औसतन पांच से ज्यादा बार धरती हिली है। इनमें से 382 भूकंप भारत में केंद्रित रहे। भूकंप विज्ञान केंद्र की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर और पूर्वोत्तर भारत सबसे ज्यादा सक्रिय रहे हैं, जहां असम, अरुणाचल और मणिपुर जैसे राज्य बार-बार झटकों का केंद्र बने।
हिमालयी क्षेत्र में धरती के नीचे मौजूद चट्टानों की हलचल इन भूकंपों की प्रमुख वजह मानी जा रही है। वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के अनुसार, यह गतिविधि हिमालयन फ्रंटल थ्रस्ट, मेन बाउंड्री थ्रस्ट और मेन सेंट्रल थ्रस्ट जैसे क्षेत्रों में हो रही है। इसके अलावा, भारतीय प्लेट के म्यांमार की प्लेट के नीचे खिसकने से इंडो-बर्मा वेज क्षेत्र में भी झटके महसूस होते हैं।
दक्षिण भारत की तुलना में उत्तर भारत ज्यादा संवेदनशील है। जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली-एनसीआर और पूर्वोत्तर के सभी राज्य भूकंप के लिहाज से खतरे में हैं। मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के कुछ जिले भी संवेदनशील माने गए हैं।
इन भूकंपों में से ज्यादातर की तीव्रता कम रही है। लगभग 35 से 45 प्रतिशत भूकंप 3.0 से 3.9 तीव्रता के थे, जबकि 4.0 से 4.9 तीव्रता वाले भूकंपों की हिस्सेदारी 29 से 43 प्रतिशत रही। विशेषज्ञों के अनुसार, लगातार आ रहे ये हल्के झटके सामान्य भूगर्भीय हलचल का हिस्सा हैं, लेकिन इससे बड़े भूकंप की संभावना को नकारा नहीं जा सकता।
