उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आज एक अलग ही अंदाज में नजर आए। वे खटीमा स्थित अपने पैतृक खेत में पहुंचे, जहां उन्होंने परंपरागत तरीके से बैलों की जोड़ी के साथ खेत जोता और महिलाओं के साथ धान की रोपाई की। यह नजारा सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया, जिस पर अब राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी सामने आने लगी हैं।
मुख्यमंत्री धामी ने शनिवार सुबह टनकपुर से कैलाश मानसरोवर यात्रा 2025 के पहले जत्थे को रवाना किया, जिसमें देश के 11 राज्यों के तीर्थयात्री शामिल थे। इसके बाद वे अपने गांव खटीमा पहुंचे और खेत में पारंपरिक पद्धति से कृषि कार्य में हिस्सा लिया।
सीएम धामी ने खेत में काम करने के बाद कहा, “कई वर्षों बाद खेत में हाथ आजमाने का मौका मिला। बैलों के साथ खेत जोतना और रोपाई करना मेरे बचपन की यादों को ताजा कर गया। यह अनुभव हमेशा प्रेरणादायक रहेगा।” उन्होंने कहा कि इस प्रयास का उद्देश्य युवाओं को खेती से जुड़ने और परंपरागत कृषि विधियों की ओर लौटने के लिए प्रेरित करना है।
पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने सीएम धामी के इस किसान रूप पर तंज कसा है। उन्होंने सोशल मीडिया पर राहुल गांधी और पुष्कर धामी की खेत में काम करते हुए तस्वीरें साझा कीं और लिखा,
*”पुष्कर जी, यह देखकर अच्छा लगा कि आपने कम से कम इस दिशा में राहुल गांधी जी का अनुसरण किया।”*
रावत ने कहा कि सीएम धामी का धन्यवाद करना चाहिए कि उन्होंने राहुल गांधी के काम को अपनाकर एक सकारात्मक संदेश दिया। हालांकि, इस टिप्पणी के पीछे राजनीतिक कटाक्ष भी छिपा नजर आया।
कांग्रेस नेता के इस बयान पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा,सीएम धामी ने अपने ही खेत में रोपाई की है, वह भी कुमाऊं की पारंपरिक ढोल पद्धति के साथ। यह किसी राजनीतिक स्टंट का हिस्सा नहीं, बल्कि परंपरा और जड़ों से जुड़ने का प्रयास है। राहुल गांधी के पास एक इंच जमीन भी नहीं है, जिन खेतों में वो रोपाई कर रहे थे, वे उनके नहीं थे।”*
भट्ट ने यह भी जोड़ा कि सीएम धामी की इस पहल से राज्य के युवाओं को खेती के प्रति जागरूकता और प्रेरणा मिलेगी। उन्होंने रावत से अपील की कि इस तरह की हर सकारात्मक पहल को राजनीति से न जोड़ें।