कांग्रेस में बाहरी और हाल ही में शामिल हुए नेताओं को संगठन में अहम जिम्मेदारियाँ देने से एक बार फिर असंतोष की स्थिति बन गई है। पार्टी के पुराने और समर्पित कार्यकर्ताओं में इसे लेकर नाराजगी बढ़ती जा रही है, जिसका खुलकर विरोध हो रहा है।
मंगलवार को बिहार के पटना के सदाकत आश्रम में कई कांग्रेस कार्यकर्ता धरने पर बैठ गए। इन कार्यकर्ताओं ने नेतृत्व पर पुराने नेताओं की उपेक्षा और बाहरी चेहरों को तरजीह देने का आरोप लगाया। धरने में शामिल पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के पूर्व अध्यक्ष कुंदन गुप्ता और किसान प्रकोष्ठ के राजकुमार शर्मा ने संगठन में अनदेखी का आरोप लगाते हुए कहा कि पार्टी में वर्षों से काम कर रहे कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर नए चेहरों को महत्वपूर्ण पद सौंपे जा रहे हैं।
हबीबुल्लाह अंसारी ने भी आरोप लगाया कि अति पिछड़ा प्रकोष्ठ और किसान प्रकोष्ठ में अध्यक्ष पद पर दूसरे दलों से आए लोगों को बिठाया गया है। यही स्थिति कई जिलों में जिला अध्यक्षों की नियुक्ति में भी देखने को मिल रही है।
इन घटनाओं से स्पष्ट है कि चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस को अपने ही घर में असंतोष की आग से जूझना पड़ रहा है। संगठनात्मक मजबूती के इरादे से किए गए फेरबदल अब पार्टी के लिए चुनौती बनते नजर आ रहे हैं।