मानव तस्करी के एक बड़े रैकेट का पुलिस ने पर्दाफाश किया है, जिसमें 42 लड़कियों और 45 बच्चों को सकुशल बचाया गया है। पिछले सप्ताह ‘ऑपरेशन नटराज’ के तहत पुलिस ने कई स्थानों पर छापेमारी की और इस रैकेट में शामिल पांच लोगों को गिरफ्तार किया। पुलिस ने इन आरोपियों से पूछताछ शुरू कर दी है।
यह मामला बिहार के रोहतास जिले का है। पुलिस अधीक्षक रोशन कुमार के मुताबिक, एक एनजीओ ने जानकारी दी थी कि नाबालिग बच्चों को विशेष रूप से बिहार के बाहर से लाकर कई ऑर्केस्ट्रा पार्टियों द्वारा काम पर रखा जा रहा है। इन्हें शादियों और सार्वजनिक समारोहों में नाचने के लिए मजबूर किया जाता था। इसके बाद पुलिस ने इस सूचना पर जांच शुरू की और एक पुलिस टीम गठित की।
एसपी ने बताया कि बच्चों को बेहद डरावनी परिस्थितियों में रखा जाता था, उन्हें अश्लील गानों पर नचाया जाता था और कम कपड़े पहनने के लिए मजबूर किया जाता था। इस मामले की जानकारी मिलते ही पुलिस ने तुरंत अभियान शुरू किया। गुरुवार की सुबह यह अभियान छापेमारी के रूप में चला, जिसमें कई पुलिस थानों के कर्मी शामिल थे। इस अभियान के दौरान तीन नाबालिग लड़कों को भी बचाया गया।
प्रारंभिक जांच में यह सामने आया कि इन लड़कियों को नौकरी और शादी का झांसा देकर लाया गया था, और उन्हें पैसे देने का वादा किया गया था। बचाए गए सभी बच्चे गरीब परिवारों से थे। पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है, जबकि बच्चों के पुनर्वास की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
इस गिरोह के पीछे कई प्रभावशाली लोगों की भूमिका सामने आ रही है। एक एनजीओ के वरिष्ठ निदेशक मनीष शर्मा ने बताया कि पहले ये तस्करी मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल से होती थी, लेकिन अब छत्तीसगढ़ से भी गरीब लड़कियों को लाकर इस नेटवर्क का हिस्सा बनाया जा रहा है। ये अंतर-राज्यीय तस्करी गिरोह प्रभावशाली लोगों द्वारा संचालित हो सकते हैं।
पिछले साल दिसंबर में मुजफ्फरपुर रेलवे स्टेशन पर भी एक ऐसी छापेमारी की गई थी, जिसमें पांच बाल तस्करों को गिरफ्तार किया गया था और 25 बच्चों को मुक्त कराया गया था। यह बच्चे कर्नाटका के बेंगलुरु में टाइल्स फैक्ट्री में काम दिलाने के नाम पर ले जाए जा रहे थे। इस मामले में भी पुलिस ने तस्करों की गिरफ्तारी के बाद बच्चों को चाइल्ड वेलफेयर कमिटी के हवाले किया था।