अयोध्या में राम मंदिर की भव्य प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम पूर्ण हो गया है। इसी के साथ 23 जनवरी से राम मंदिर में रामलला की पूजा का विधान तय हो गया है। इसके लिए श्री रामोपासना नाम से संहिता बनाई गई है। नियम के तहत सुबह तीन बजे से पूजन और श्रृंगार की तैयारी होगी। चार बजे रामलला को जगाया जाएगा। पहले पांच बार आरती होती थी, आगे भी वैसे ही होगी।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट के अनुसार, रामलला को हर घंटे फल-दूध का भोग लगेगा। हर रोज सुबह 8 बजे से रात 10 बजे तक मंदिर खुलेगा। प्राण प्रतिष्ठा के बाद श्रद्धालुओं की ज्यादा संख्या को देखते हुए मंदिर में दर्शन की अवधि 14 से 15 घंटे हो सकती है। मंदिर के पुजारियों का कहना है कि 1949 में प्रकट हुए श्री रामलला के वस्त्रों का रंग दिन के अनुसार रहा है। ये परंपरा नए मंदिर में जारी रहेगी। रामलला सोमवार को सामान्य दिनों में सफेद वस्त्र धारण करते हैं, लेकिन विशेष अवसर पर पीले वस्त्र धारण करेंगे।
भगवार राम मंगलवार को लाल, बुधवार को हरा, गुरुवार को पीला, शुक्रवार को हल्का पीला या क्रीम कलर, शनिवार को नीला और रविवार को गुलाबी रंग के वस्त्र पहनेंगे। नये बालरूप विग्रह के लिए राम मंदिर ट्रस्ट ने पुणे के हैरिटेज एंड हैंडवीविंग रिवाइवल चैरिटेबल ट्रस्ट से हथकरघे पर कपड़े तैयार करवाए हैं। इनकी बुनाई में देश के 10 से 15 लाख कारीगर शामिल रहे हैं।
दिन में इसलिए बंद रहेगा मंदिर
प्राण प्रतिष्ठा संपन्न होने के बाद 23 जनवरी से ब्रह्म मुहूर्त में करीब 3 बजे से गर्भगृह की स्वच्छता करने, पूजन और श्रृंगार की तैयारी की जाएगी। 3.30 से 4 बजे के करीब, तय समय पर भगवान के दोनों विग्रह और श्रीयंत्र को मंत्रों से जगाया जाएगा। फिर मंगला आरती होगी। इसके बाद विग्रहों का अभिषेक, श्रृंगार भोग होगा। शृंगार आरती होगी। यह 4.30 से 5 तक होगी। सुबह आठ बजे से दर्शन शुरू होंगे। दोपहर, करीब एक बजे मध्याह्न में भोग आरती होगी। दो घंटे दर्शन बंद रहेंगे। भगवान विश्राम करेंगे। दोपहर तीन बजे से दर्शन फिर शुरू होंगे, जो रात 10 बजे तक लगातार जारी रहेंगे। इसी बीच, शाम सात बजे संध्या आरती होगी।