उत्तराखंड की धामी सरकार अवैध मदरसों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रही है। प्रदेश में सैंकड़ों अवैध मदरसों को सील किया गया है, जिनमें हरिद्वार के कई मदरसे भी शामिल हैं। पुलिस-प्रशासन ने बिना पंजीकरण वाले मदरसों को बंद किया है। इस कार्रवाई के विरोध में कई मदरसों ने उत्तराखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की थी।
29 जुलाई को न्यायमूर्ति रविन्द्र मैठाणी की एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान मदरसों को निर्देश दिया कि वे जिला माइनॉरिटी वेलफेयर अधिकारी को शपथ पत्र दें कि जब तक सरकार से मान्यता नहीं मिलती, तब तक वे धार्मिक, शिक्षण या नमाज संबंधी कोई कार्य नहीं करेंगे। मदरसों को खोलने या बंद करने का निर्णय राज्य सरकार के अधिकार में होगा।
हरिद्वार के जामिया राजबिया फैजुल कुरान, दारुल कुरान, नुरूहुदा एजुकेश ट्रस्ट, सिराजुल कुरान अरबिया रासदिया सोसाइटी और दारुलउलम सबरिया सिराजिया सोसाइटी ने याचिका दायर कर कहा कि प्रशासन ने नियमों का पालन किए बिना उनके शिक्षण संस्थान बंद कर दिए हैं। उन्होंने यह भी बताया कि पंजीकरण के लिए आवेदन किया गया है, लेकिन बोर्ड की बैठक न होने के कारण प्रक्रिया रुकी हुई है। उन्होंने पंजीकरण पूरी होने तक मदरसों को बंद न करने की मांग की है।
उत्तराखंड सरकार ने अदालत में कहा कि जिन मदरसों को सील किया गया है, वे अवैध रूप से संचालित हो रहे थे, जिनमें शिक्षण के साथ-साथ धार्मिक अनुष्ठान और नमाज भी हो रही थी। सरकार ने स्पष्ट किया कि पंजीकृत मदरसों को कोई कार्रवाई नहीं की गई है और उन्हें अनुदान भी जारी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि अवैध मदरसों के खिलाफ अभियान जारी रहेगा और उनकी फंडिंग स्रोतों की भी जांच कराई जाएगी।