उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने मंगलवार, 26 अगस्त को नैनीताल जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में मतपत्रों में टेंपरिंग और ओवरराइटिंग की शिकायत वाली याचिका पर सुनवाई की। मामले की जांच के लिए कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग से 27 अगस्त को चुनाव आयोग द्वारा जारी निष्पक्ष चुनाव निर्देश पुस्तिका प्रस्तुत करने को कहा है। इसी दिन मामले की अगली सुनवाई होगी।
सुनवाई मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ के समक्ष हुई। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामथ ने याचिकाकर्ता की ओर से बताया कि हाईकोर्ट के पिछले आदेश में कहा गया था कि राज्य निर्वाचन आयोग प्रदेश में निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करेगा। यदि किसी भी प्रत्याशी को आपत्ति हो, तो आयोग शिकायतों का निपटारा करेगा। लेकिन जिला अधिकारी ने इस मामले में निर्णय नहीं लिया, जो नियमों के विपरीत है। इसलिए कोर्ट ने चुनाव आयोग से संबंधित नियमों और निष्पक्ष चुनाव के दिशा-निर्देशों को प्रस्तुत करने को कहा। इसके अलावा कोर्ट ने स्पष्ट किया कि रिपोलिंग का अधिकार जिलाधिकारी के पास नहीं है, बल्कि यह राज्य चुनाव आयोग का प्राधिकार है।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि जिलाधिकारी ने पहले कोर्ट को रिपोलिंग का बयान दिया, लेकिन बाद में रात को ही वोटों की गिनती कर विजेता घोषित कर दिया। इस पर कोर्ट ने चुनाव आयोग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों की पुस्तिका पेश करने के आदेश दिए।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने विवादित मुद्दों पर निर्णय लेने के लिए मामले को चुनाव आयोग के पास भेजने का प्रस्ताव रखा, लेकिन याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने इस पर आपत्ति जताई और कहा कि चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर भी आरोप लगे हैं, इसलिए मामला हाईकोर्ट में ही सुना जाए।
मामले की पृष्ठभूमि के अनुसार, जिला पंचायत सदस्य पूनम बिष्ट ने 20 अगस्त को हाईकोर्ट में पुनर्मतदान की मांग करते हुए याचिका दायर की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि एक मतपत्र में उनके क्रमांक को ओवरराइट कर अमान्य कर दिया गया।
14 अगस्त को हुए नैनीताल जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव के दौरान भारी विवाद हुआ था। चुनाव के बीच पांच जिला पंचायत सदस्य अचानक गायब हो गए थे, जिससे बीजेपी और कांग्रेस ने एक-दूसरे पर अपहरण का आरोप लगाया था। कांग्रेस ने मामले को हाईकोर्ट तक पहुंचाया था, जहां जिलाधिकारी को चुनाव स्थगित करने का आदेश दिया गया था।
हालांकि, जिलाधिकारी वंदना सिंह ने कोर्ट के बाद वोटिंग समय बढ़ाया और देर रात वीडियोग्राफी के साथ मतगणना कराई, लेकिन परिणाम घोषित नहीं किया। निर्वाचन आयोग ने 19 अगस्त को परिणाम घोषित करते हुए बीजेपी की दीपा दर्मवाल को एक वोट से विजेता घोषित किया। वहीं कांग्रेस ने मतपत्रों में टेंपरिंग का आरोप लगाते हुए मामले को हाईकोर्ट में चुनौती दी है।