उत्तराखंड सरकार ने हरिद्वार में हुए ज़मीन घोटाले को लेकर सख्त कदम उठाए हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर इस मामले में दो IAS, एक PCS अफसर समेत कुल 12 अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया गया है। यह कार्रवाई उस रिपोर्ट के बाद की गई, जिसमें हरिद्वार नगर निगम द्वारा 15 करोड़ की ज़मीन को 54 करोड़ रुपये में खरीदने की पुष्टि हुई।
इस ज़मीन की न कोई तत्काल ज़रूरत थी और न ही खरीद प्रक्रिया में कोई पारदर्शिता बरती गई। जांच में साफ हुआ कि शासन के नियमों को दरकिनार कर यह सौदा किया गया।
सरकार ने जिन अधिकारियों को सस्पेंड किया है, उनमें हरिद्वार के जिलाधिकारी कर्मेन्द्र सिंह, पूर्व नगर आयुक्त वरुण चौधरी, और एसडीएम अजयवीर सिंह के अलावा वरिष्ठ वित्त अधिकारी निकिता बिष्ट, कानूनगो राजेश कुमार, तहसील प्रशासनिक अधिकारी कमलदास और वरिष्ठ वैयक्तिक सहायक विक्की भी शामिल हैं।
पहले ही नगर निगम के सहायक नगर आयुक्त रविंद्र कुमार दयाल, अधिशासी अभियंता आनंद सिंह मिश्रवाण, कर एवं राजस्व अधीक्षक लक्ष्मीकांत भट्ट और अवर अभियंता दिनेश चंद्र कांडपाल को निलंबित किया जा चुका है। साथ ही संपत्ति लिपिक वेदवाल का सेवा विस्तार रद्द करते हुए उनके खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं।
सरकार ने इस पूरे मामले की जांच अब विजिलेंस को सौंप दी है। यह उत्तराखंड में पहली बार हुआ है जब किसी सरकार ने इस स्तर पर अपने ही अफसरों के खिलाफ इतनी बड़ी कार्रवाई की है। इस फैसले को राज्य में प्रशासनिक सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।