उत्तराखंड कांग्रेस की गुटबाजी एक बार फिर सामने आई है। केदारनाथ विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव से पहले पार्टी के अंदर की यह असहमति तब उभरी, जब हाईकमान ने दो नए पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की बिना प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा से राय लिए। इस निर्णय से माहरा नाराज बताए जा रहे हैं।
कांग्रेस हाईकमान ने पहले युवा विधायक भुवन कापड़ी और वीरेंद्र जाती को पर्यवेक्षक नियुक्त किया था, लेकिन कुछ दिनों बाद पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल को मुख्य पर्यवेक्षक और विधायक लखपत बुटोला को पर्यवेक्षक के रूप में शामिल किया गया। इस बीच, माहरा गुंजी (धारचूला) के दौरे पर थे, जिससे उन्हें इस बदलाव की जानकारी तुरंत नहीं मिली।
पार्टी के भीतर डैमेज कंट्रोल की कोशिशें तेज हो गई हैं, क्योंकि चुनाव के करीब इस तरह की गुटबाजी पार्टी को नुकसान पहुंचा सकती है। पिछले हरियाणा चुनाव में भी इसी तरह की आंतरिक लड़ाई ने कांग्रेस की स्थिति को कमजोर किया था।
माहरा और प्रदेश प्रभारी कुमारी सैलजा के बीच संबंध हमेशा ही तनावपूर्ण रहे हैं। इससे पहले भी कई नियुक्तियों को सैलजा ने बिना चर्चा के निरस्त किया था, जिससे माहरा खफा रहे हैं।
इस विवाद के चलते, पहले तय किए गए पर्यवेक्षकों ने अब अपना दौरा स्थगित कर दिया है, जिससे पार्टी के भीतर नई खिचड़ी पकने की आशंका बढ़ गई है। अब पार्टी के नेता दो धड़ों में बंट चुके हैं, और आने वाले दिनों में यह स्थिति और गंभीर हो सकती है।