सुप्रीम कोर्ट (SC) ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के जरिए डाले गए मतों का वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) के साथ पूर्ण मिलान की मांग वाली विभिन्न याचिकाओं पर अपना फैसला बृहस्पतिवार को सुरक्षित रख लिया। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने याचिकाओं पर निर्वाचन आयोग का जवाब सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। गुरुवार को अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि हमें हर चीज के बारे में संदेह करने की जरूरत नहीं है।
गौरतलब है कि याचिकाकर्ताओं ने वीवीपैट मशीनों पर पारदर्शी कांच को अपारदर्शी कांच से बदलने के आयोग के 2017 के फैसले को उलटने की भी मांग की है, जिसके जरिए कोई मतदाता केवल सात सेकंड के लिए रोशनी चालू होने पर ही पर्ची देख सकता है। आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह ने बताया कि ईवीएम किस प्रकार काम करती है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील प्रशांत भूषण और वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायणन पेश हुए। उच्चतम न्यायालय ने 16 अप्रैल को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) की आलोचना और मतपत्रों के जरिए चुनाव की लौटने की मांग की निंदा करते हुए कहा था कि भारत में चुनावी प्रक्रिया एक “बहुत बड़ा काम” है और “व्यवस्था को खराब करने” का प्रयास नहीं किया जाना चाहिए।
पीठ ने सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग से ईवीएम और वीवीपैट की वर्तमान व्यवस्था में उम्मीदवारों के प्रतिनिधि के शामिल होने, छेड़छाड़ रोकने सहित तमाम चुनावी प्रक्रियाओं और कार्यप्रणालियों से संबंधित तमाम आशंकाओं को दूर करने को कहा। याचिकाएं एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) और अन्य की ओर से दायर की गई थीं। उन याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान पीठ ने उप चुनाव आयुक्त नितेश व्यास से पूछा, “आप हमें पूरी प्रक्रिया बताएं कि उम्मीदवारों के प्रतिनिधि कैसे शामिल होते हैं और छेड़छाड़ कैसे रोकी जाती है।”