उत्तराखंड में कर्मचारियों के तबादलों को लेकर शुरू हुआ विवाद अब नए मोड़ पर पहुंच गया है। प्रकरण में अब मिनिस्ट्रियल कर्मचारी संघ ने अपने ही जिला सचिव और पूर्व पदाधिकारी द्वारा लगाए गए आरोपों से खुद को अलग कर लिया है। संघ ने जिलाधिकारी को ज्ञापन भेजते हुए स्पष्ट किया है कि यह शिकायत व्यक्तिगत है और संघ का इससे कोई संबंध नहीं है।
दरअसल यह पूरा मामला राजधानी देहरादून कलेक्ट्रेट का है। यहां ट्रांसफर के बाद आरोप प्रत्यारोप का दौर चल रहा है। मिनिस्ट्रियल कर्मचारी संघ की ओर से भेजे गए ज्ञापन में कहा गया है कि जिला सचिव आलोक शर्मा द्वारा की गई शिकायत संघ की आधिकारिक राय नहीं है। संघ के मुताबिक, आलोक शर्मा 3 मई को हुए चुनाव के बाद जिला सचिव बने हैं, जबकि उन्होंने अप्रैल माह में ही शिकायत पत्र भेज दिया था, जो उस समय उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता था।
ट्रांसफर विवाद में नाम घसीटे जाने पर पीसीएस अधिकारी केके मिश्रा ने भी ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए अपनी स्थिति स्पष्ट की है। उन्होंने कहा कि कलेक्ट्रेट में ट्रांसफर का अधिकार उनके पास नहीं है और इस प्रक्रिया में उनकी कोई भूमिका नहीं होती। उन्होंने कर्मचारियों द्वारा अधिकारियों का नाम घसीटे जाने को अनुचित बताया।
संघ ने इस मामले में संगठन की छवि धूमिल करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि पूर्व पदाधिकारी के खिलाफ संगठन स्तर पर कार्रवाई पर विचार किया जा रहा है। साथ ही, उन्होंने ऐसे कर्मचारियों के खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई की भी मांग की है।
गौरतलब है कि इससे पहले जिला सचिव आलोक शर्मा ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर ट्रांसफर प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए थे और तबादलों को वापस लेने की मांग की थी। अब इस प्रकरण ने संगठन के भीतर ही मतभेदों को उजागर कर दिया है, जिससे विवाद और गहराने की सम्भावना है।