उत्तराखंड में पंचायत चुनाव को लेकर उस समय भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गई, जब टिहरी के सहायक जिला निर्वाचन अधिकारी के नाम से एक पत्र वायरल हुआ। पत्र में कहा गया था कि नगर निकाय मतदाता सूची में शामिल व्यक्ति पंचायत चुनाव नहीं लड़ सकते। यह आदेश सामने आते ही राजनीतिक हलकों और पंचायत चुनाव से जुड़े प्रत्याशियों में हड़कंप मच गया।
वायरल हुए पत्र में उल्लेख किया गया था कि जो लोग नगर निकाय की मतदाता सूची में पहले से शामिल हैं, उन्हें पंचायत चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं होगा। यदि ऐसे व्यक्ति नामांकन भरते हैं, तो उनके पर्चे रद्द कर दिए जाएंगे। टिहरी जिले के सहायक जिला निर्वाचन अधिकारी के नाम से जारी इस कथित पत्र ने स्थिति को और पेचीदा बना दिया।
दरअसल, हाल ही में उत्तराखंड कांग्रेस ने एक पत्र लिखकर राज्य निर्वाचन आयोग से मांग की थी कि नगर निकाय की मतदाता सूची में शामिल लोगों को पंचायत चुनाव लड़ने से रोका जाए। इसके बाद आयोग के सचिव द्वारा सभी जिलों को नियमानुसार कार्रवाई करने के निर्देश भी जारी किए गए थे।
टिहरी के सहायक जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा कांग्रेस के पत्र का हवाला देते हुए पंचायत चुनाव में प्रतिबंध का जिक्र किया गया। हालांकि, मामले के तूल पकड़ते ही यह स्पष्ट कर दिया गया कि वायरल पत्र आधिकारिक रूप से जारी नहीं हुआ था और इसकी ड्राफ्टिंग में त्रुटि थी। इसलिए इसे रद्द कर दिया गया।
राज्य निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार ने कहा कि ऐसा कोई आदेश उनके संज्ञान में नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि राज्य में पंचायत चुनाव को लेकर पूर्व निर्धारित नियम ही प्रभावी रहेंगे।
टिहरी की जिलाधिकारी नितिका खंडेलवाल ने भी पुष्टि की कि कोई भी ऐसा आधिकारिक पत्र जारी नहीं हुआ है। उन्होंने वायरल पत्र को गलत बताते हुए जनता से भ्रम न फैलाने की अपील की।