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निकायों के आरक्षण का आधार क्या है?… हाईकोर्ट ने सरकार ने सरकार को दिए ये आदेश

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उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने नगर निकाय चुनाव में आरक्षण रोटेशन को लेकर 14 दिसंबर 2024 को जारी नियमावली को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की। न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की एकलपीठ ने राज्य सरकार से सवाल किया कि निकायों का आरक्षण निर्धारित करने का आधार क्या है? अदालत ने सरकार को निर्देश दिया कि वह आरक्षण निर्धारण से संबंधित पूरा रिकॉर्ड 25 मार्च तक कोर्ट में प्रस्तुत करे। कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 26 मार्च की तिथि निर्धारित की है।

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इस मामले में अल्मोड़ा नगर निगम, धारचूला नगर पालिका, गुप्तकाशी नगर पंचायत और उत्तरकाशी नगर पालिका के अध्यक्ष और मेयर पद के प्रत्याशियों ने सरकार की 2024 की आरक्षण नियमावली को चुनाव से पहले ही चुनौती दी थी। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि राज्य सरकार को आरक्षण नियमावली बनाने का अधिकार नहीं है और यह नियमावली संविधान के विरुद्ध है। उनका आरोप है कि सरकार ने नगर निकायों और नगर पंचायतों का आरक्षण तय करते समय नियमों का उल्लंघन किया है और उन्होंने मांग की कि निकायों का आरक्षण फिर से तय किया जाए।

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इससे पहले, एकलपीठ ने याचिकाकर्ताओं को अंतरिम आदेश देने से इनकार कर दिया था और सरकार से जवाब पेश करने को कहा था। इसके खिलाफ याचिकाकर्ताओं ने विशेष अपील दायर की, लेकिन खंडपीठ ने भी अपील खारिज कर दी। इसके बाद अल्मोड़ा निवासी शोभा जोशी ने सर्वोच्च न्यायालय में अपील दायर की, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट की एकलपीठ द्वारा उठाए गए सवाल सही हैं और मामले की शीघ्र सुनवाई होनी चाहिए।

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सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने कोर्ट से शपथपत्र पेश करने के लिए समय मांगा। अदालत ने सरकार को शपथपत्र पेश करने का समय देते हुए अगली सुनवाई 26 मार्च को निर्धारित की है।

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हिल दर्पण डेस्क

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