उत्तराखंड में प्रस्तावित पंचायत चुनावों से पहले राज्य निर्वाचन आयोग एक नई कानूनी उलझन में फंस गया है। नैनीताल हाईकोर्ट के एक अहम फैसले के बाद आयोग को बड़ा झटका लगा है, जिससे चुनाव प्रक्रिया पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। आयोग इस मामले पर लगातार बैठकें कर रहा है, लेकिन अभी तक किसी ठोस समाधान तक नहीं पहुंच सका है।
पंचायत चुनाव में प्रत्याशियों और वोटरों की वैधता को लेकर हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि कुछ लोग ऐसे हैं जिनके नाम शहरी निकाय और पंचायत—दोनों मतदाता सूचियों में दर्ज हैं। यहां तक कि इनमें से कई लोगों ने निकाय चुनाव में मतदान भी किया है। जबकि नियमों के अनुसार, कोई भी व्यक्ति एक से अधिक मतदाता सूची में शामिल नहीं हो सकता और न ही दो अलग-अलग स्थानों पर मतदान का अधिकार रखता है।
इस याचिका पर सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग से स्पष्ट जवाब मांगा था। आयोग ने अदालत को बताया कि उसने जिलाधिकारियों को इस विषय पर निर्देश भेजे थे और उनकी राय मांगी थी, लेकिन अभी तक कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं मिली है।
हाईकोर्ट ने आयोग के इस सर्कुलर पर रोक लगाते हुए सख्त निर्देश दिए कि कोई भी व्यक्ति एक ही स्थान से मतदान करे और वहीं से चुनाव लड़े। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि किसी भी मतदाता या प्रत्याशी को उसके संवैधानिक अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता।
अब राज्य निर्वाचन आयोग के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि हाईकोर्ट के आदेशों का पालन कैसे किया जाए। प्रत्याशियों के नामांकन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और नाम वापसी की अंतिम तिथि भी निकल गई है। ऐसे में अब यह पता लगाना कि किन व्यक्तियों का नाम दोहरी मतदाता सूचियों में है, एक मुश्किल और समय-संवेदनशील कार्य बन गया है।
गौरतलब है कि 14 जुलाई को पंचायत चुनाव के प्रत्याशियों को चुनाव चिन्ह आवंटित किए जाने हैं। इससे पहले आयोग को यह तय करना होगा कि दोहरी मतदाता सूची वाले प्रत्याशियों का क्या होगा।
राज्य निर्वाचन आयोग ने 12 जुलाई को इस मुद्दे पर एक बैठक की, लेकिन कोई स्पष्ट निर्णय नहीं लिया जा सका। संभावना जताई जा रही है कि आयोग 13 जुलाई (रविवार) को एक और बैठक कर इस मसले का हल निकालने की कोशिश करेगा, जिससे हाईकोर्ट के आदेशों का पालन भी हो सके और चुनाव प्रक्रिया भी बाधित न हो।
राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव राहुल कुमार गोयल ने बताया:
“राज्य निर्वाचन आयोग को नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश की कॉपी प्राप्त हो चुकी है। आदेश का विधिक परीक्षण कराया जा रहा है। परीक्षण पूरा होने के बाद आगामी कार्रवाई पर निर्णय लिया जाएगा।”