उत्तराखंड में निकाय चुनाव पर बड़ी खबर सामने आई है। इसे लेकर बनी प्रवर समिति का कार्यकाल एक माह बढ़ा दिया गया है। उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम 1959) संशोधन विधेयक के लिए विधानसभा ने प्रवर समिति गठित कर अधिसूचना जारी की थी। शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल को समिति का सभापति बनाया गया था, जबकि पक्ष-विपक्ष के छह विधायकों को सदस्य नामित किया गया था।
इस विधेयक में नगर निकायों में ओबीसी आरक्षण का परीक्षण कर प्रवर समिति को विधानसभा अध्यक्ष को एक माह में रिपोर्ट सौंपनी थी। इसके साथ ही, प्रदेश में निकाय चुनाव का रास्ता साफ हुआ। प्रवर समिति ने अपनी बैठक में यह स्पष्ट किया कि 2011 की जनगणना के आधार पर, जिस प्रकार 2018 के निकाय चुनाव हुए थे, वैसे ही ओबीसी आरक्षण इस बार के चुनाव में भी दिया जाएगा।
बैठक विधानसभा स्थित कक्ष में संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल की अध्यक्षता में हुई। बैठक में ओबीसी आरक्षण को सदन में चुनौती देने वाले प्रवर समिति के सदस्य भाजपा विधायक विनोद चमोली और मुन्ना सिंह चौहान, कांग्रेस विधायक ममता राकेश, और बसपा विधायक मोहम्मद शहजाद भी शामिल हुए थे।
बैठक के बाद मंत्री अग्रवाल ने बताया कि निकाय चुनाव के लिए अब 10 नवंबर को हाईकोर्ट में कार्यक्रम पेश किया जाएगा। उन्होंने कहा कि चूंकि यह मुद्दा काफी व्यापक है, इसके लिए और अधिक समय की आवश्यकता है। इसलिए, प्रवर समिति का कार्यकाल बढ़ाने के लिए विधानसभा अध्यक्ष से अनुरोध किया गया था।
अब समिति का कार्यकाल एक माह के लिए बढ़ा दिया गया है। चूंकि फिलहाल प्रवर समिति इस पर कोई रिपोर्ट नहीं दे रही है, इसलिए या तो चुनाव अध्यादेश के आधार पर होंगे, जिसके लिए दोबारा अध्यादेश लाना पड़ेगा, या फिर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व के आदेश को भी आधार बनाया जा सकता है।