उत्तराखंड की पंचायतों का कार्यकाल इस सप्ताह 27 नवंबर को समाप्त होने जा रहा है, लेकिन इस दौरान पंचायतों के परिसीमन का काम अब तक पूरा नहीं हो पाया है। जबकि पंचायतीराज सचिव चंद्रेश कुमार ने 11 नवंबर को चमोली, ऊधमसिंह नगर और नैनीताल जिलों के जिलाधिकारियों को एक सप्ताह के भीतर परिसीमन पूरा करने के निर्देश दिए थे, बावजूद इसके यह काम अब तक अधूरा है।
सचिव चंद्रेश कुमार ने स्पष्ट रूप से कहा था कि इन तीन जिलों में परिसीमन का काम एक सप्ताह में पूरा हो जाना चाहिए, लेकिन अब तक इन जिलों में इस कार्य को पूरा नहीं किया गया है। सचिव का कहना है कि इन जिलों के कुछ क्षेत्रों में परिसीमन का काम बाकी है, लेकिन 10 दिन बाद भी स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है।
वहीं, उत्तराखंड त्रिस्तरीय पंचायत संगठन की ओर से पंचायतों का कार्यकाल बढ़ाए जाने की मांग की जा रही है। संगठन लंबे समय से इस मुद्दे पर आंदोलन कर रहा है, लेकिन विभागीय अधिकारियों का कहना है कि संवैधानिक व्यवस्था के तहत पंचायतों का कार्यकाल एक दिन भी नहीं बढ़ाया जा सकता।
उत्तराखंड में ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायतों के चुनाव होने हैं, लेकिन परिसीमन का काम न होने से चुनावों में अनिश्चितता बनी हुई है। 7700 से अधिक ग्राम पंचायतों का कार्यकाल इस 27 नवंबर को समाप्त हो जाएगा, जबकि इसके बाद क्षेत्र और जिला पंचायतों का कार्यकाल भी समाप्त हो जाएगा।
अगर परिसीमन कार्य जल्दी पूरा नहीं हुआ तो पंचायत चुनावों में बड़ी रुकावट आ सकती है, जिससे प्रदेश की स्थानीय राजनीति और प्रशासनिक व्यवस्था पर गहरा असर पड़ेगा। अधिकारियों का कहना है कि अधिकतर जिलों में परिसीमन का कार्य पूरा हो चुका है, लेकिन चमोली, ऊधमसिंह नगर और नैनीताल जिलों में काम अब भी अधूरा है।
इस स्थिति में, यदि परिसीमन कार्य में और देरी होती है तो चुनावों की तारीखों पर भी संकट आ सकता है।