उत्तराखंड सरकार प्रदेश में अगले महीने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराने की तैयारियों में जुट गई है। पंचायतीराज विभाग और राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव प्रक्रिया को अंतिम रूप देने की कवायद तेज कर दी है। हालांकि मानसून के दौरान पहाड़ी क्षेत्रों में बढ़ते खतरे और खराब मौसम को देखते हुए यह चुनाव आयोग और प्रशासन दोनों के लिए बड़ी चुनौती बन सकते हैं।
सूत्रों के अनुसार, प्रदेश की ग्राम, क्षेत्र और जिला पंचायतों का कार्यकाल पिछले वर्ष 2024 में समाप्त हो गया था। इसके बाद समय पर चुनाव न होने के चलते दो बार पंचायतों में प्रशासकों की नियुक्ति की गई। पहले निवर्तमान जनप्रतिनिधियों को प्रशासक बनाया गया और अब प्रशासनिक अधिकारियों के हाथ में पंचायतों की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
सरकार अब चुनाव में और देरी नहीं करना चाहती। आरक्षण प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और शासन की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार, पंचायत चुनाव जुलाई 2025 में कराए जाने की संभावना है।
हालांकि, स्थानीय जनप्रतिनिधियों और जानकारों का कहना है कि यदि जुलाई में पंचायत चुनाव होते हैं तो यह राज्य गठन के बाद पहली बार होगा जब बरसात के मौसम में चुनाव होंगे। बरसात के दौरान राज्य के कई हिस्सों में नदी-नाले और गदेरे उफान पर रहते हैं, जिससे दूरस्थ ग्रामीण इलाकों तक पहुंचना मुश्किल हो सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे हालात में मतदान कर्मियों की तैनाती और मतदान सामग्री की सुरक्षित ढुलाई बड़ी चुनौती होगी। वहीं, खराब मौसम और परिवहन समस्याओं के चलते मत प्रतिशत में गिरावट आने की आशंका भी जताई जा रही है।
राज्य निर्वाचन आयोग इस दिशा में रणनीति बनाने में जुटा है ताकि मतदाताओं की अधिकतम भागीदारी सुनिश्चित की जा सके और चुनाव प्रक्रिया सुचारु रूप से संपन्न हो सके।