उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से उत्तराखंड के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नियुक्ति पाने के आरोप से घिरे सभी शिक्षकों के दस्तावेजों का दो माह के भीतर सत्यापन कर रिपोर्ट पेश करने को कहा है। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रितु बाहरी एवं न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ में हुई।
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने मामले में प्रगति रिपोर्ट पेश की। सरकार की ओर से कहा गया कि प्रदेश के 80 प्रतिशत शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच की जा चुकी है। शेष 20 प्रतिशत शिक्षक ऐसे हैं, जिन्होंने राज्य से बाहर के अन्य संस्थानों से शिक्षा प्राप्त कर शैक्षिक योग्यता हासिल की है। इनमें जम्मू कश्मीर, यूपी से रुहेलखंड विश्वविद्यालय आदि संस्थान शामिल हैं। ऐसे में दस्तावेजों की जांच के लिए समय देने के अनुरोध कोर्ट से किया।
कोर्ट को बताया कि फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नियुक्ति पाए शिक्षकों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई जारी है। कुछ शिक्षकों ने इस कार्रवाई को उच्च न्यायालय में चुनौती भी दी है। मामले के अनुसार, स्टूडेंट वेलफेयर सोसायटी हल्द्वानी ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि राज्य के प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में करीब साढ़े तीन हजार शिक्षक जाली दस्तावेजों के आधार पर फर्जी तरीके से नियुक्त पा गए हैं। इनमें से कुछ शिक्षकों के मामलों की एसआईटी जांच की गई।