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उत्तराखंड… ये 13 गांव बने आदर्श संस्कृ‌त ग्राम

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 उत्तराखंड सरकार ने संस्कृत भाषा के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए प्रदेश के 13 गांवों को “आदर्श संस्कृत ग्राम” घोषित कर दिया है। इन गांवों में अब से सभी कामकाज और बोलचाल देववाणी संस्कृत में होंगे, जिससे राज्य की दूसरी राजभाषा संस्कृत का सम्मान और विकास होगा।

सरकार के इस निर्णय से संस्कृत को एक नई पहचान मिलेगी। प्रत्येक जनपद में एक आदर्श संस्कृत ग्राम के रूप में चयनित गांवों में हर गतिविधि, चाहे वह सरकारी कार्य हो या सामान्य बातचीत, संस्कृत में की जाएगी। संस्कृत के इन ग्रामों में विशेष रूप से प्रशिक्षित संस्कृत शिक्षकों की नियुक्ति की जाएगी, जो भाषा के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

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इस पहल का उद्देश्य संस्कृत को न केवल एक प्राचीन भाषा के रूप में संरक्षित करना है, बल्कि उसे आम जनजीवन का हिस्सा बनाना भी है। गांवों में संस्कृत में सूचना और प्रतीक चिन्ह स्थापित किए जाएंगे, ताकि स्थानीय लोग आपसी संवाद और कामकाजी गतिविधियों में संस्कृत का उपयोग करने के लिए प्रेरित हो सकें।

राज्य सरकार द्वारा घोषित 13 आदर्श संस्कृत ग्रामों में हरिद्वार का नूरपुर पंजनहेडी, देहरादून का भोगपुर, उत्तरकाशी का कोटगांव, चमोली का डिम्मर, पौड़ी का गोदा, रुद्रप्रयाग का बैजी, टिहरी का मुखेम, नैनीताल का पाण्डे, अल्मोड़ा का जैंती, चम्पावत का खर्ककार्की, पिथौरागढ़ का उर्ग, बागेश्वर का शेरी और ऊधमसिंह नगर का नगला तराई गांव शामिल हैं।

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इन गांवों में संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के साथ-साथ, धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों के दौरान वेद, पुराणों और उपनिषदों के पाठ होंगे। महिलाओं द्वारा संस्कृत में गीत-गायन के आयोजन भी किए जाएंगे, ताकि संस्कृत भाषा की सांस्कृतिक धरोहर को पुनः जीवित किया जा सके।

राज्य सरकार ने घोषणा की है कि इन गांवों में विशेष रूप से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के बच्चों को संस्कृत पढ़ने के लिए प्रेरित किया जाएगा। इसके साथ ही, केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली, इन गांवों में अंशकालिक संस्कृत प्रशिक्षक और सहायक प्रशिक्षकों की नियुक्ति करेगा।

यह कदम राज्य सरकार के संस्कृत के प्रति समर्पण और उसे पुनः स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल साबित हो सकता है। उत्तराखंड के इन आदर्श संस्कृत ग्रामों में संस्कृत का उपयोग आम लोगों के बीच लोकप्रिय होगा और राज्य में संस्कृत का गौरव पुनः स्थापित होगा। संस्कृत शिक्षा मंत्री उत्तराखंड डॉ. धन सिंह रावत ने कहा की देववाणी संस्कृत राज्य की द्वितीय राजभाषा है और इसके संरक्षण व संवर्द्धन के लिये राज्य सरकार ने सभी जनपदों में एक-एक आदर्श संस्कृत ग्राम की घोषणा की है। इन गांवों में संस्कृत भाषा को बढ़ावा दिया जायेगा और नई पीढ़ी को संस्कृत के माध्यम से भारतीय दर्शन और ज्ञान परम्परा से जोड़ा जायेगा।

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हिल दर्पण डेस्क

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