उत्तराखंड को जल संकट से उबारने की दिशा में एक ऐतिहासिक और वैज्ञानिक पहल का शुभारंभ किया गया। भराड़ीसैंण विधानसभा भवन में आयोजित विशेष कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय, जौलीग्रांट के सहयोग से ‘डायरेक्ट इंजेक्शन जल स्रोत पुनर्भरण योजना’ का विधिवत शुभारंभ किया।
इस योजना के तहत सूख चुके हैंडपंपों में वर्षा जल को इंजेक्ट करके भूजल स्तर को पुनर्जीवित किया जाएगा। कार्यक्रम के दौरान ‘वाइब्रेंट बर्ड्स ऑफ कोटद्वार’ नामक फोटोग्राफिक संग्रह का भी विमोचन किया गया।
इस नवाचार की शुरुआत राज्य के गैरसैंण और चौखुटिया विकासखंडों से की जा रही है, जहां पहले चरण में 20 निष्क्रिय हैंडपंपों को पुनर्भरण कर फिर से उपयोगी बनाया जाएगा। यह तकनीक स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय की विशेषज्ञ टीम द्वारा विकसित की गई है, जो वर्षा जल को फिल्टर और ट्रीट कर सीधे भूजल भंडार में भेजने की प्रक्रिया पर आधारित है।
उल्लेखनीय है कि इस परियोजना के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए 8 जुलाई को स्वामी राम विश्वविद्यालय और अंतरराष्ट्रीय संसदीय अध्ययन, शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान भराड़ीसैंण के बीच एक समझौता (MoU) किया गया था।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय की तकनीकी टीम — प्रो. एच. पी. उनियाल, नितेश कौशिक, सुजीत थपलियाल, राजकुमार वर्मा, अतुल उनियाल, अभिषेक उनियाल और शक्ति भट्ट — ने इस तकनीक की कार्यप्रणाली और इसके प्रभावों पर विस्तृत प्रस्तुति दी। उन्होंने समझाया कि यह प्रणाली कैसे बारिश के पानी को प्राकृतिक फिल्ट्रेशन के बाद भूजल पुनर्भरण के लिए इस्तेमाल करती है।
कार्यक्रम के दौरान एक विशेष डॉक्यूमेंट्री भी प्रदर्शित की गई, जिसमें गैरसैंण के गांवों में इस तकनीक के उपयोग और परिणामों को दिखाया गया।
‘डायरेक्ट इंजेक्शन जल स्रोत पुनर्भरण योजना’ को जल संरक्षण और प्रबंधन की दिशा में एक स्थायी समाधान के रूप में देखा जा रहा है। मुख्यमंत्री धामी ने इसे “भविष्य की जरूरत और पर्यावरणीय जिम्मेदारी का संगम” बताया।
इस पहल से उम्मीद की जा रही है कि राज्य के सूखते जलस्रोतों को नया जीवन मिलेगा और ग्रामीण क्षेत्रों में पीने और सिंचाई के पानी की समस्या का स्थायी समाधान सुनिश्चित हो सकेगा।