उत्तराखंड में नाबालिग लड़कियों की शादी के मामलों में बढ़ोतरी के बावजूद प्रशासन की सक्रियता से कई विवाह रुकवाए जा रहे हैं। ताजा मामला रुद्रप्रयाग जिले के ऊखीमठ क्षेत्र से सामने आया, जहां दो नाबालिग लड़कियां शादी के बंधन में बंधने जा रही थीं, लेकिन इससे पहले ही प्रशासन और संबंधित संस्थाओं ने तुरंत हस्तक्षेप कर शादी रुकवाने में सफलता हासिल की।
चाइल्ड हेल्पलाइन रुद्रप्रयाग से मिली जानकारी के बाद वन स्टॉप सेंटर के केंद्र प्रशासक रंजना गैरोला भट्ट, मिशन शक्ति की समन्वयक दीपिका कांडपाल, बाल संरक्षण अधिकारी रोशनी रावत और चाइल्ड हेल्पलाइन के सुपरवाइजर सुरेंद्र सिंह के नेतृत्व में एक टीम ने मौके पर पहुंचकर लड़कियों के जन्म प्रमाणपत्र की जांच की। जांच में दोनों लड़कियां नाबालिग पाई गईं। इसके बाद प्रशासन ने लड़कियों के परिजनों से बातचीत की और उन्हें समझाया कि नाबालिगों का विवाह कानूनन अपराध है।
अधिकारियों ने परिजनों को यह चेतावनी दी कि यदि वे शादी करवाते हैं तो उन पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी और उन्हें 2 साल तक की सजा हो सकती है। इस कड़ी चेतावनी के बाद परिजनों ने शादी रुकवाने का निर्णय लिया और यह वादा किया कि वे अपनी बेटियों की शादी तब तक नहीं करेंगे, जब तक उनकी उम्र पूरी नहीं हो जाती।
इससे पहले भी रुद्रप्रयाग जिले के जखोली और ऊखीमठ ब्लॉक में नाबालिग लड़कियों की शादी के मामले सामने आए थे, जिन्हें प्रशासन ने तुरंत रोक दिया था। प्रशासन की तत्परता से न केवल इन लड़कियों की शादी रुकवाई गई, बल्कि समाज में बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने में भी मदद मिली है।