उत्तराखंड में उपनल कर्मियों की हड़ताल लगातार सुर्खियों में है। आंदोलन के बीच सरकार के नए आदेशों ने विवाद को और हवा दे दी है। ताज़ा मामला सचिवालय में तैनात उपनल कर्मियों के तबादले का है, जिसमें उन्हें *सचिवालय की वार्षिक स्थानांतरण नियमावली* का हवाला देते हुए स्थानांतरित किया गया है।
जारी आदेश के अनुसार सचिवालय प्रशासन ने कुल **31 उपनल कर्मियों** की जिम्मेदारियाँ बदली हैं। ये सभी कर्मचारी कई वर्षों से विभिन्न अनुभागों और कार्यालयों में तैनात थे। लेकिन चर्चा उनके तबादले से ज्यादा उस आदेश को लेकर हो रही है जिसमें स्पष्ट रूप से उन्हें वार्षिक स्थानांतरण नीति के अंतर्गत बदला गया है—जबकि यह नीति सामान्यतः सचिवालय सेवा के नियमित कर्मचारियों के लिए होती है।
सचिवालय में समीक्षा अधिकारी और सहायक समीक्षा अधिकारियों के तबादले भी इसी नीति के तहत किए गए, लेकिन सबसे ज्यादा सवाल उपनल कर्मियों को लेकर उठ रहे हैं। कर्मचारी संगठनों का कहना है कि आउटसोर्सिंग के तहत नियुक्त उपनल कर्मियों पर सचिवालय की स्थानांतरण नीति लागू करना नियमों के अनुरूप है या नहीं—यह स्पष्ट करने की आवश्यकता है।
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष **अरुण पांडे** ने इसे “चौंकाने वाला कदम” बताया। उनका कहना है कि जब उपनल कर्मी आउटसोर्स स्टाफ हैं, तो उन पर नियमित कर्मचारियों की तरह स्थानांतरण नीति लागू करना समझ से परे है।


