उत्तराखंड में पुलिस अधिकारियों के ट्रांसफर पॉलिसी के तहत पहाड़ों में तैनाती के आदेशों का पालन नहीं हो पा रहा है, जिससे प्रशासनिक स्तर पर चिंता पैदा हो गई है। हाल ही में आईजी गढ़वाल द्वारा जारी आदेशों के तहत मैदानी जिलों में तैनात पुलिस निरीक्षकों और उप निरीक्षकों को पहाड़ी जिलों में तैनाती के निर्देश दिए गए थे। हालांकि, इन आदेशों का शत प्रतिशत पालन होते हुए नहीं दिख रहा है, जिससे पुलिस मुख्यालय स्तर पर दखल की आवश्यकता महसूस हो रही है।
पुलिस महानिरीक्षक गढ़वाल के कार्यालय से हाल ही में जारी वार्षिक स्थानांतरण नीति 2020 के तहत कई पुलिस निरीक्षकों और उप निरीक्षकों को पहाड़ी जिलों में तैनात करने के आदेश दिए गए थे। इस आदेश में यह भी निर्देश था कि 21 मार्च 2025 तक इन अधिकारियों को कार्यमुक्त किया जाए। बावजूद इसके, निर्धारित तिथि तक आदेशों का पालन नहीं हुआ।
देहरादून में 22 मार्च 2025 को वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक द्वारा कुछ पुलिस निरीक्षकों और उप निरीक्षकों के ट्रांसफर आदेश जारी किए गए थे, जिनमें कई पुलिस अधिकारियों के नाम ऐसे थे जिनके बारे में आईजी गढ़वाल राजीव स्वरूप ने पहाड़ भेजने के आदेश दिए थे। इसके बावजूद, इन अधिकारियों को पहाड़ी जिलों में भेजने के बजाय, उन्हें देहरादून जिले में ही दूसरी तैनाती दे दी गई।
आईजी गढ़वाल राजीव स्वरूप के निर्देशों के बाद भी कुछ पुलिस अधिकारियों को देहरादून में ही तैनात कर दिया गया, जबकि कुछ को पहाड़ी जिलों में भेजने के आदेश का पालन किया गया। इस ‘पिक एंड चूज’ नीति पर सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि कुछ अधिकारियों को पहाड़ी जिलों में भेजा गया, जबकि कुछ को देहरादून में ही तैनात किया गया। इस पर कोई स्पष्ट मानक नहीं दिखाई दे रहा है।
एडीजी प्रशासन एपी अंशुमन ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह आईजी गढ़वाल कार्यालय का मामला है और यदि जरूरत पड़ी तो पुलिस मुख्यालय इस पर दखल देगा। उन्होंने कहा कि पहाड़ी जिलों में भेजे गए पुलिस कर्मियों को कार्यमुक्त क्यों नहीं किया गया, इस बारे में जानकारी ली जाएगी।