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उत्तराखंड में ट्रेकिंग बना त्रासदी… एक की मौत, बाकी को मौत के मुंह से निकाला

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उत्तराखंड में प्रकृति की गोद में बसे सतोपंथ ट्रेक पर रोमांच की तलाश में निकले ट्रेकर्स के एक दल की यात्रा दुखद मोड़ पर आकर थम गई। जहां 4500 मीटर की ऊंचाई पर सांसें थमने लगीं, वहीं इंसानियत की मिसाल बनकर एसडीआरएफ की टीम उन तक पहुंची – मौत और जिंदगी के बीच झूलते उन पलों में एक जीवन नहीं बच सका, लेकिन बाकी सभी को सुरक्षित नीचे लाया गया।

पश्चिम बंगाल से आया 12 लोगों का ट्रेकिंग दल, सतोपंथ की कठिन चढ़ाई चढ़ रहा था। पहाड़ों की हवा में उम्मीदें थीं, उत्साह था – लेकिन जैसे-जैसे ऊंचाई बढ़ी, एक ट्रेकर की तबीयत बिगड़ती चली गई। बाकी साथी कुछ किलोमीटर नीचे माणा गांव पहुंच चुके थे, लेकिन चार लोग अब भी लक्ष्मीवन क्षेत्र में फंसे हुए थे – उस ऊँचाई पर जहां न सड़कें हैं, न फोन नेटवर्क।

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3 अक्टूबर की शाम, चमोली जिले के बदरीनाथ थाने से मिली सूचना के बाद एसडीआरएफ की टीम तुरंत हरकत में आई। अंधेरा गहराता जा रहा था, रास्ता दुर्गम था, लेकिन टीम ने उप निरीक्षक दीपक सामंत के नेतृत्व में कंधों पर स्ट्रेचर, पीठ पर जिम्मेदारी और हाथों में उम्मीद लिए चढ़ाई शुरू की।

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जब टीम वहां पहुंची, तब तक एक ट्रेकर – सुमंता दा (निवासी: दक्षिण 24 परगना, पश्चिम बंगाल) की तबीयत इतनी बिगड़ चुकी थी कि उसे बचाया नहीं जा सका। उसके शरीर को स्ट्रेचर पर बांधकर, खतरनाक चट्टानों और बर्फीले रास्तों से होते हुए टीम ने माणा गांव तक पहुँचाया। वहीं बाकी फंसे हुए ट्रेकर्स को भी सुरक्षित नीचे लाया गया।

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इसी दौरान, केदारनाथ के ऊपर वासुकीताल ट्रेक पर भटक चुके हरियाणा निवासी जय प्रकाश को भी एसडीआरएफ ने देर रात रेस्क्यू किया। वह अपने साथियों से बिछड़ गया था और समय पर नहीं लौटा, जिसके बाद पुलिस को सूचना दी गई। गहराती रात और गिरते तापमान के बीच यह रेस्क्यू ऑपरेशन एक और बड़ी राहत लेकर लौटा।

हिल दर्पण डेस्क

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