कॉर्बेट टाइगर रिजर्व मामले में केंद्रीय एजेंसियों की जांच का सामना कर रहे पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत ने तत्कालीन मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। पूर्व मंत्री हरक सिंह का कहना है कि तत्कालीन सीएम की आईएफएस किशन चंद को कॉर्बेट का डीएफओ बनाने में उनसे से ज्यादा भूमिका रही है।
मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा है कि किशन चंद की तैनाती वाली फाइल में उनके सिर्फ साइन हैं, जबकि तत्कालीन सीएम के साइन के साथ मुहर भी लगी है। इससे साफ है कि उनसे सीएम कार्यालय में ही साइन करवाए गए। हरक के अनुसार डीएफओ की तैनाती सीएम कार्यालय से होती है।
मीडिया रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री ने हरक सिंह के आरोपों को नकारा है। कहा है कि ऐसा उनकी जानकारी में बिल्कुल नहीं है। तब यह विभाग हरक सिंह के पास था, वो जाने, उन्होंने क्या-क्या किया।
गौरतलब है कि यह मामला इन दिनों चर्चाओं में है। दरअसल, कॉर्बेट नेशनल पार्क के पाखरो में टाइगर सफारी बनाने के दौरान हुए पेड़ कटान और निर्माण को लेकर आरोप लगने के बाद राज्य सरकार ने विजिलेंस जांच कराई, बाद में कोर्ट के आदेश पर यह प्रकरण सीबीआई को सौंपा गया है। अब सीबीआई के साथ ही ईडी भी इस प्रकरण की जांच कर रही है।