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पांच साल पहले उजागर हुआ करोड़ों का यह चर्चित महाघोटाला- अब तक न तो कार्रवाई हुई और न पैसे की वसूली

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आरटीआई में मांगी गई सूचना में रिपोर्ट तो दी, पर अद्यावधिक स्थिति की सूचना नदारद

हल्द्वानी। पांच साल पहले उजागर  हुए उत्तराखण्ड के सबसे चर्चित 600 करोड़ के चावल घोटाले में आज तक न तो किसी के खिलाफ  कोई  दण्डात्मक  कार्यवाही हुई और  न ही 6 नये पैसे की वसूली। आरटीआई  के जरिये मांगी गई  सूचना में एस.आई.टी की रिपोर्ट  एवं स्पेशल आडिट रिपोर्ट  तो दी गई  लेकिन परिपालन  की अद्यावधिक स्थिति की सूचना नहीं दी गई । अब यह मामला राज्य  सूचना आयोग में पहुंच गया है।

हल्द्वानी के देवकीबिहार  निवासी निवासी रमेश चन्द्र पाण्डे द्वारा वर्ष 2015-16 एवं 2016-17 में जनपद उधमसिंहनगर  में उजागर  हुए  इस घोटाले की विशेष आडिट रिपोर्ट के परिपालन की अद्यावधिक स्थिति की सूचना बावत  10 अगस्त 23 को आयोग मे  द्वितीय अपील का आवेदन भेजा गया था जिस पर आयोग की उपसचिव स्मृता परमार के हस्ताक्षर  से जारी नोटिस  द्वारा आडिट  निदेशालय  के लोक सूचना अधिकारी एवं प्रथम अपीलीय अधिकारी को 26 फरवरी को सुनवाई  के समय सम्बन्धित अभिलेखों के साथ आयोग में उपस्थित  होने के आदेश  दिये गये हैं।

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गौरतलब  है कि विकास के प्रति जवाबदेही के सवाल  को लेकर मुखर रिटायर्ड असिस्टेंट आडिट आफिसर रमेश चन्द्र पाण्डे ने आडिट एक्ट  2012 के अनुरुप वर्षवार आडिट रिपोर्ट विधान सभा के पटल पर पुटअप नहीं किये जाने के मामले में भी आरटीआई लगाते हुए  इसे मीडिया के जरिए उजागर  किया था । आडिट रिपोर्ट  सदन में पुटअप  नहीं किये जाने के मामले को लेकर मीडिया में सरकार के जीरो टॉलरेंस  के दावों पर  सवाल उठने के बाद सरकार  तत्काल एक्शन  में आयी और इसी  मानसून सत्र  में आठ सालों की आडिट रिपोर्ट सदन के पटल पर पुटअप  हुई। श्री पाण्डे के अनुसार  मानसून सत्र  में विधान सभा के पटल पर  प्रस्तुत की गई  वर्ष  2014-15 से 2021-22 तक की आठ सालों की आडिट रिपोर्ट में 600 करोड के चावल  घोटाले की स्पेशल आडिट रिपोर्ट  भी सम्मिलित  है ।

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उन्होंने इस बात पर  गहरी हैरानी जतायी है कि आठ सालों के इन लेखा परीक्षा प्रतिवेदनों में तमाम विभागों की करोड़ो  की वित्तीय अनियमितताओ और  घोटालों का खुलासा होने के बावजूद सत्ता पक्ष और  विपक्ष में से किसी ने भी  न तो इसकी गम्भीर  समीक्षा करने की जरुरत  समझी और न ही ये  पूछा कि अब तक इसके परिपालन में क्या कार्यवाही हुई  ? कहा कि आडिट एक्ट के नियम 8(3) में  हर साल  की आडिट रिपोर्ट को विधानसभा के पटल पर रखे जाने का प्राविधान  है लेकिन  किसी ने यह नहीं पूछा कि हर साल ये रिपोर्ट सदन के पटल पर क्यों नहीं रखी गई  और इस नियम की अनदेखी के लिए  जवाबदेह कौन रहा है?

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हिल दर्पण डेस्क

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