उत्तराखंड सरकार द्वारा विभिन्न आयोगों, निगमों, परिषदों और समितियों में नियुक्त किए गए दायित्वधारियों पर प्रतिमाह करीब दो लाख रुपये तक का खर्च आने का अनुमान है। वर्तमान में राज्य में करीब 70 दायित्वधारी हैं, जिनकी नियुक्ति हाल ही में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा की गई है।
सरकार द्वारा जारी किए गए नवीन शासनादेश के अनुसार, प्रत्येक दायित्वधारी को प्रतिमाह 45,000 रुपये का मानदेय मिलेगा। इसके अलावा उन्हें वाहन भत्ता भी दिया जाएगा — यदि शासकीय वाहन उपलब्ध नहीं है तो किराये के वाहन हेतु 80,000 रुपये प्रति माह, जबकि निजी वाहन होने की स्थिति में 40,000 रुपये प्रतिमाह दिए जाएंगे।
सहायक स्टाफ और अन्य सुविधाएं भी शामिल
दायित्वधारियों को शासकीय सेवकों की अनुपलब्धता की स्थिति में एक निजी सहायक नियुक्त करने की अनुमति दी गई है, जिसका मानदेय 15,000 रुपये प्रतिमाह राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाएगा। इसके साथ ही एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की सुविधा और सरकारी सर्किट हाउस में ठहरने की सुविधा भी प्रदान की जाएगी।
यात्रा भत्ता और प्रोटोकॉल का भी विशेष ध्यान
सरकार ने दायित्वधारियों की यात्राओं को लेकर भी विशेष प्रावधान किए हैं। उन्हें रेल यात्रा में उच्चतम श्रेणी में एक बर्थ और माह में दो बार हवाई यात्रा की सुविधा (एक सीट) प्रदान की जाएगी, जिसका व्यय राज्य सरकार वहन करेगी।
दायित्वधारियों के प्रोटोकॉल और शिष्टाचार का निर्वहन संबंधित विभागों, निगमों, आयोगों या परिषदों के स्थानीय अधिकारी करेंगे। वहीं, संवैधानिक निकायों में नियुक्त दायित्वधारियों के प्रोटोकॉल से संबंधित दायित्व संबंधित जिलाधिकारी द्वारा निभाया जाएगा।
यह व्यवस्था संबंधित विभागों के बजट से की जाएगी, यानी जिन विभागों में दायित्वधारियों की नियुक्ति हुई है, उन्हीं के बजट से इन पर होने वाला व्यय वहन किया जाएगा।
सरकार की मंशा पर सवाल
हालांकि सरकार की इस पहल पर विपक्ष ने सवाल खड़े करने शुरू कर दिए हैं। बढ़ते खर्च और संसाधनों के बोझ के बीच दायित्वधारियों को इतनी सुविधाएं देना जनता के बीच एक नई बहस का विषय बन गया है।