अंतरराष्ट्रीय राष्ट्रीय स्वास्थ्य

तेजी से फैल रहा वायरस …एमपॉक्स के प्रकोप ने बढ़ा दी टेंशन, WHO ने बनाई ये योजना

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विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा एमपॉक्स के प्रकोप को रोकने के लिए बनाई गई योजना सितंबर 2024 से फरवरी 2025 तक की अवधि के लिए है। इसके लिए डब्ल्यूएचओ और अन्य संगठनों को Ampox के प्रकोप से निपटने के लिए 135 मिलियन अमेरिकी डॉलर की आवश्यकता होगी।

टीकाकरण की ओर ध्यान दिया जाएगा

Ampox द्वारा बनाई गई इस योजना में एमपॉक्स के प्रकोप की निगरानी और रोकथाम के लिए व्यापक रणनीतियों को लागू करना, निष्पक्ष तरीके से चिकित्सा उपायों परीक्षण और टीकों तक पहुंच बढ़ाने के लिए शोध करना, जानवरों से मनुष्यों में संक्रमण फैलने से रोकने के लिए प्रयास शामिल हैं। इसके साथ ही टीकाकरण के मामले में स्वास्थ्य सेवा कार्यकर्ताओं पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। साथ ही वैश्विक स्तर पर प्रभावित देशों में सबसे अधिक जोखिम वाले समूहों के लिए टीकाकरण की ओर ध्यान दिया जाएगा।

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WHO तैयारी, तत्परता और प्रतिक्रिया के क्षेत्रों में समन्वय बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय, क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और स्थानीय संगठनों और नेटवर्क के साथ काम कर रहा है। इसमें एएसीटी-एक्सेलेरेटर प्रिंसिपल्स ग्रुप के साथ जुड़ाव, स्वास्थ्य आपातकाल रोकथाम, तैयारी और प्रतिक्रिया की स्थायी समिति, महामारी के लिए आर एंड डी ब्लूप्रिंट, अंतरिम मेडिकल काउंटर मेजर्स नेटवर्क (आई-एमसीएम नेट) शामिल हैं।

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वैज्ञानिक इसे नियंत्रित करने पर चर्चा करेंगे

डब्ल्यूएचओ आर एंड डी ब्लूप्रिंट, अफ्रीका सीडीसी, महामारी तैयारी नवाचार गठबंधन (सेपी), और राष्ट्रीय एलर्जी और संक्रामक रोग संस्थान, 29-30 अगस्त 2024 को एक आभासी वैज्ञानिक सम्मेलन आयोजित करेगा। इसमें एमपॉक्स पर शोध कर रहे वैज्ञानिक इसे नियंत्रित करने पर चर्चा करेंगे।

वर्तमान में 14 अफ्रीकी देशों में इसका प्रकोप

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डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ टेड्रोस एडहानीम गेब्रियेसस ने कहा, “डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो और आसपास के देशों में एमपॉक्स के प्रकोप को नियंत्रित किया जा सकता है। इसके लिए अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों और राष्ट्रीय व स्थानीय भागीदारों, नागरिक समाज, शोधकर्ताओं और निर्माताओं व हमारे सदस्य देशों के बीच एक व्यापक और समन्वित कार्य योजना की आवश्यकता है।” गौरतलब है कि एमपॉक्स एक वायरल जूलॉजिकल बीमारी है, जो मंकीपॉक्स वायरस के कारण होती है। वर्तमान में 14 अफ्रीकी देशों में इसका प्रकोप है।

हिल दर्पण डेस्क

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