उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएसएससी) की सबसे बड़ी स्नातक स्तरीय परीक्षा एक बार फिर पेपर लीक मामले में फंस गई है। 2021 में आठ बार पेपर लीक विवाद से जूझने के बाद अब इस परीक्षा ने आयोग की शुचिता, गोपनीयता और विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस घटना ने आयोग के लिए परीक्षा व्यवस्था को और अधिक कड़े सुरक्षा मानकों के साथ संचालित करने की चुनौती बढ़ा दी है।
इस वर्ष 9 अप्रैल को आयोग ने सहायक समीक्षा अधिकारी, वैयक्तिक सहायक, सहायक अधीक्षक, पटवारी, लेखपाल, ग्राम विकास अधिकारी, ग्राम पंचायत विकास अधिकारी, स्वागती और सहायक स्वागती के कुल 416 पदों पर भर्ती के लिए आवेदन मांगे थे। भर्ती में करीब डेढ़ लाख उम्मीदवारों ने आवेदन किया था, जिससे परीक्षा का आयोजन और जटिल हो गया।
प्रदेश भर में 445 परीक्षा केंद्र बनाए गए थे, जहां कड़ी सुरक्षा के बीच परीक्षा कराई गई। आयोग ने जैमर, कड़ी जांच, और पुलिस की विशेष निगरानी जैसे सुरक्षा उपायों का दावा किया था। लेकिन इसके बावजूद परीक्षा के दौरान पेपर परीक्षा केंद्र से ही बाहर लीक हो गया। सोशल मीडिया पर वायरल हुए पेपर के बाद मामले ने तूल पकड़ लिया है।
परीक्षा में शामिल अभ्यर्थियों ने कई आरोप लगाते हुए आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। इस मामले की जांच सीबीआई कर सकती है, जिससे आयोग की साख को बड़ा झटका लगा है।
आयोग के लिए अब यह बड़ी चुनौती है कि भविष्य में परीक्षाओं को पूरी तरह पेपर लीक प्रूफ बनाया जाए। इसके साथ ही, भर्तियों को समय पर और पारदर्शी तरीके से संपन्न करना भी आवश्यक होगा। आयोग के अध्यक्ष जीएस मर्तोलिया ने कहा है कि आगामी परीक्षाएं समय पर आयोजित की जाएंगी और इस बार पूर्व की गलतियों से सबक लेकर व्यवस्था में सुधार किया जाएगा।
