उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने वन विभाग के दैनिक श्रमिकों को न्यूनतम वेतनमान न देने के मामले में पीसीसीएफ डॉ. धनंजय मोहन और प्रभागीय वनाधिकारी कालसी केएन भारती को अवमानना नोटिस जारी किया है। वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने दोनों अधिकारियों को 5 जून तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
वन विभाग के दैनिक श्रमिक बबलू और अन्य ने उच्च न्यायालय में अवमानना याचिका दायर कर कहा कि वे वर्षों से काम कर रहे हैं, लेकिन उन्हें न्यूनतम वेतनमान का भुगतान नहीं किया जा रहा है। 2017 में इस संबंध में याचिका दायर की गई थी, जिस पर उच्च न्यायालय ने सरकार को न्यूनतम वेतन देने का आदेश दिया था।
इसके बाद, राज्य सरकार ने इस आदेश के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने 15 अक्टूबर 2024 को खारिज कर दिया और उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा।
अवमानना याचिका में यह आरोप लगाया गया कि इसके बावजूद कर्मचारियों को न्यूनतम वेतनमान का भुगतान नहीं किया गया। दैनिक श्रमिक कर्मचारी संगठन ने इस मामले में विभाग और सरकार से पत्राचार भी किया। पूर्व में दिए गए आदेश का पालन नहीं होने पर याचियों ने हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की थी।