नगर निगम के महापौर और उपमहापौर पद के लिए दिल्ली में मतदान हो चुके हैं। महापौर चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) के महेश खींची ने बीजेपी को बेहद कड़ी टक्कर देते हुए महज तीन वोटों के अंतर से महापौर पद पर जीत हासिल की। महेश खींची ने बीजेपी उम्मीदवार किशनलाल को 133 वोटों से हराया, जबकि किशनलाल को सिर्फ 130 वोट मिले। इस जीत के साथ ही महेश खींची दिल्ली के तीसरे दलित महापौर बनेंगे।
कौन हैं महेश खींची?
महेश खींची करोल बाग के देवनगर वार्ड-84 से आम आदमी पार्टी के पार्षद हैं। दिल्ली के मोतीलाल नेहरू कॉलेज से बीकॉम की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने अपने इलाके में सक्रिय राजनीति में कदम रखा। वे लोकसभा चुनावों के दौरान भी काफी सक्रिय रहे थे और नई दिल्ली लोकसभा सीट से इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार सोमनाथ भारती के लिए प्रचार कर चुके थे।
महेश खींची की जीत का खास पहलू यह है कि वह अनुसूचित जाति से आते हैं, और उनके महापौर बनने से दिल्ली को दलित समुदाय से पहला महापौर मिला है। इस पर दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने अपने पोस्ट में खुशी जताते हुए कहा कि, “दलित विरोधी बीजेपी ने चुनाव में देरी की, लेकिन बाबा साहेब के संविधान की जीत हुई है।”
शेली ओबेरॉय के बाद महेश खींची का कार्यकाल
महेश खींची अब दिल्ली की महापौर की कुर्सी संभालेंगे। शेली ओबेरॉय, जो फरवरी 2023 में महापौर चुनी गई थीं, ने इस पद का कार्यभार संभाला था, लेकिन प्रशासनिक समस्याओं के कारण अप्रैल 2024 तक चुनाव नहीं हो पाए थे। अब, महेश खींची की जीत ने इस लंबित चुनाव प्रक्रिया को समाप्त किया है।
दिल्ली में बदलाव का संकेत
महेश खींची की जीत ने दिल्ली की राजनीति में नया मोड़ दिया है। यह न केवल आम आदमी पार्टी की बढ़ती ताकत को दर्शाता है, बल्कि यह भी साफ करता है कि बीजेपी के लिए अब दिल्ली में सत्ता की लड़ाई आसान नहीं रहने वाली। खींची की यह ऐतिहासिक जीत दलित समुदाय के लिए भी एक बड़ी जीत मानी जा रही है, क्योंकि वे एक ऐसे समाज से आते हैं जो आमतौर पर राजनीति में हाशिए पर होता है।
इस जीत पर आम आदमी पार्टी ने बीजेपी को आड़े हाथों लिया और दावा किया कि पार्टी ने जानबूझकर चुनावों में देरी की ताकि महापौर पद में उनकी जीत को रोक सके। लेकिन अंततः महेश खींची ने दिल्ली के महापौर के रूप में अपने नाम की एक नई इबारत लिखी।