सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई को लेकर हैरान कर देने वाला आदेश दिया है। शीर्ष न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में की गई इस कार्रवाई के मामले में सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ताओं को उनके घरों को फिर से बनाने की अनुमति दी है, साथ ही राज्य सरकार को कड़े शब्दों में हिदायत दी है। याचिकाकर्ताओं का आरोप था कि उनकी ज़मीन को गैंगस्टर अतीक अहमद की संपत्ति मानकर घरों को ढहा दिया गया था। अतीक अहमद की 2023 में हत्या कर दी गई थी।
यह मामला सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच में सुनवाई के दौरान आया। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को अपने खर्च पर घरों को पुनर्निर्माण की अनुमति दी जाएगी, लेकिन कुछ शर्तें तय की गई हैं। यदि उनकी अपील खारिज होती है तो उन्हें अपने खर्च पर घरों को फिर से ध्वस्त करना होगा।
याचिकाकर्ताओं की ओर से एडवोकेट जुल्फिकार हैदर, प्रोफेसर अली अहमद, दो विधवाएं और एक अन्य व्यक्ति शामिल थे। वे इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। उनका आरोप था कि अधिकारियों ने बिना उचित नोटिस दिए, घरों को ध्वस्त करने की कार्रवाई की थी।
अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने कोर्ट में दलील दी कि याचिकाकर्ताओं को पहले 8 दिसंबर 2020 में नोटिस मिले थे, इसके बाद जनवरी और मार्च 2021 में भी नोटिस जारी किए गए थे। लेकिन कोर्ट ने इसे अनुचित करार देते हुए कहा कि इन लोगों को अपील दायर करने का समय नहीं दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में पूर्व आदेश का पालन करते हुए यह निर्देश दिया कि बगैर पूर्व नोटिस के घरों को ध्वस्त नहीं किया जाएगा। प्रभावित व्यक्तियों को 15 दिन का समय मिलेगा और यदि वे चाहें तो वे इस आदेश के खिलाफ अपील कर सकते हैं।