उत्तराखंड की केदारनाथ सीट से दो बार निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव हार चुके कुलदीप सिंह रावत के तेवरों से भाजपा में बेचैनी बढ़ गई है। लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा में शामिल हुए कुलदीप को उपचुनाव में टिकट न मिलने पर बड़ा कदम उठाने की संभावना है।
सोशल मीडिया पर चल रहे उनके इंटरव्यू इस बात का संकेत दे रहे हैं कि वह अपने समर्थकों के अनुसार निर्णय लेने के लिए तैयार हैं। हालाँकि, कुलदीप ने खुलकर कुछ कहने से बचा रहे हैं, लेकिन भाजपा के चुनावी रणनीतिकार इस बात को लेकर चिंतित हैं।
कुलदीप ने बताया कि पार्टी के नेताओं ने उनसे बात की है और उन्हें राज्यमंत्री या मंत्री स्तर के पद की पेशकश की गई है। भाजपा ने प्रत्याशी चयन के लिए केंद्रीय संसदीय बोर्ड को जो छह नाम भेजे हैं, उनमें कुलदीप का नाम भी शामिल है।
हालांकि, पार्टी नेतृत्व बदरीनाथ के अनुभव को ध्यान में रखते हुए केदारनाथ में किसी नए चेहरे पर दांव लगाने से हिचकिचा रही है। पार्टी कैडर का समर्थन सुनिश्चित करने के लिए ऐसे चेहरे पर दांव लगाना चाहती है, जिसके प्रति समर्थन मजबूत हो। कुलदीप के समर्थक इस बारे में चिंतित हैं।
कुलदीप टिकट को लेकर आश्वस्त दिख रहे हैं, लेकिन वह किसी भी स्थिति में अपने अगले कदम उठाने की रणनीति बना रहे हैं। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा, “मेरा कार्यकर्ता मुझे जो कहेगा, मैं वही करूंगा। निर्णय मेरे कार्यकर्ता लेंगे।” उनकी यह टिप्पणी भाजपा के लिए चिंता का सबब बन गई है।