उत्तराखंड विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान हरीश धामी की नाराजगी और आरोपों ने प्रदेश की राजनीति में नया मोड़ ला दिया है। हरीश धामी, जो कि कांग्रेस के विधायक हैं, ने सत्ता पक्ष और कांग्रेस नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए हैं, जिससे कांग्रेस पार्टी की अंदरूनी कलह और भी स्पष्ट हो गई है।
हरीश धामी का कहना है कि उन्हें सदन में अपने क्षेत्र की समस्याओं को उठाने का मौका नहीं मिला, जबकि आपदा के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए सिर्फ आधे घंटे का समय दिया गया था। उनकी शिकायत है कि इस महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा नहीं होने दी गई और उनकी पार्टी के ही सदस्यों ने उन्हें बोलने का अवसर नहीं दिया। इससे वह आहत और नाराज हैं।
धामी ने आरोप लगाया कि कुछ नेता, जो अपने खुद के बूथ नहीं जीत पा रहे, वे कांग्रेस की रणनीति और कार्यप्रणाली पर सलाह दे रहे हैं। उन्होंने आगामी नगर पालिका और नगर निकाय चुनावों में जनता से ऐसे नेताओं को सबक सिखाने की बात भी की है।
सत्र के दौरान कांग्रेस ने वाकआउट किया, लेकिन हरीश धामी ने बाद में विधानसभा में जाकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात की और अपनी समस्याओं की चर्चा की। हरीश धामी का यह कदम दर्शाता है कि वह पार्टी के भीतर और राज्य की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं।
यह स्थिति कांग्रेस पार्टी के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकती है, क्योंकि इससे पार्टी की एकता और प्रभावशीलता पर सवाल उठ सकते हैं। भविष्य में, कांग्रेस को इस आंतरिक संघर्ष को सुलझाने और पार्टी की रणनीति को स्पष्ट करने की आवश्यकता होगी।