हल्द्वानी: उत्तराखण्ड के चर्चित उद्यान घोटाले की जांच सीबीआई से कराने सम्बन्धी हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार की एसएलपी को सुप्रीम कोर्ट द्वारा खारिज करने से राज्य में भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वालों के हौंसले बुलंद हैं। इससे उत्साहित होकर उनके द्वारा जल्द ही कई और विभागों में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ भी मोर्चा खोलने पर विचार हो रहा है।
विकास के प्रति जवाबदेही के सवाल को लेकर मुखर रिटायर्ड असिस्टेंट ऑडिट आफिसर रमेश चन्द्र पाण्डे ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से जीरो टॉलरेंस का दावा करने वाली उत्तराखण्ड सरकार का चेहरा बेनकाब हो गया है। श्री पाण्डे ने आज इस घोटाले को लेकर जनहित याचिका लगाने वाले रानीखेत निवासी दीपक करगेती और गोपाल उप्रेती को बधाई दी। उन्होंने बताया कि इन दोनों की ओर से लगायी गई पी.आइ.एल पर उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय द्वारा 11 अक्टूबर 2023 को दिये गये 45 पृष्ठ के महत्वपूर्ण फैसले में इस घोटाले की जांच सीबीआई से कराने के आदेश दिये थे। सीबीआई की जांच शुरु होते ही उत्तराखण्ड सरकार द्वारा इस जांच को रुकवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल कर दी।
श्री पाण्डे ने बताया कि भ्रष्टाचार के खिलाफ छेड़ी गई इस मुहिम को मुकाम तक पहुंचाने के लिए दीपक करगेती ने आमरण अनशन भी किया और सबका सहयोग लेते हुए पूरे धैर्य के साथ स्टैण्ड लिया। मंगलवार को आये सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर खुशी जाहिर करते हुए रमेश चन्द्र पाण्डे ने सबसे पहले भ्रष्टाचार के खिलाफ दीपक करगेती के जज्बे व जुनून की खुलकर तारीफ की। श्री करगेती के साथ दूरभाष पर विस्तार से हुई बातचीत में श्री पाण्डे ने उन्हें आश्वस्त किया कि भ्रष्टाचार के खिलाफ इस मुहिम में वह खुलकर उनके साथ हैं। इस पर श्री करगेती ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि सबके सहयोग से राज्य में भ्रष्टाचार के खिलाफ व्यापक संघर्ष जारी रहेगा।