उत्तराखण्ड सरकार द्वारा आदर्श चुनाव आचार संहिता के बीच तीन विभागाध्यक्षों को दिये गये सेवाविस्तार को लेकर उठे सवालों के बीच लोक सूचना अधिकार के तहत मांगी गई सूचना से यह साफ हो गया है कि शासन द्वारा 31 मई को दीपक कुमार यादव प्रमुख अभियन्ता लोक निर्माण विभाग को सेवाविस्तार देने हेतु जो आदेश जारी किये गये, उसके लिए चुनाव आयोग से सहमति नहीं ली गई ।
गौरतलब है कि उत्तराखण्ड शासन द्वारा आदर्श चुनाव आचार संहिता के बीच 31 मई को तीन अलग अलग आदेश जारी कर लोक निर्माण विभाग के प्रमुख अभियन्ता दीपक कुमार यादव, सिंचाई विभाग के प्रमुख अभियन्ता जयपाल सिंह एवं प्राविधिक शिक्षा के निदेशक राजेन्द्र प्रसाद गुप्ता को 6 माह के लिए सेवाविस्तार दिया गया था । तीन विभागाध्यक्षों को दिये गये सेवाविस्तार को लेकर कार्मिको ने नाराजगी व्यक्त करते हुए गम्भीर सवाल उठाये थे ।
हल्द्वानी स्थित देवकीबिहार निवासी रमेश चन्द्र पाण्डे ने 4 जून को शासन के उक्त तीनों विभागों के लोक सूचना अधिकारियों को अलग अलग आवेदन भेजकर तीन बिन्दुओं पर सूचना मांगी थी ।
लोक निर्माण अनुभाग -1 से दीपक कुमार यादव प्रमुख अभियन्ता को सेवाविस्तार के आदेश जारी करने से पूर्व चुनाव आयोग से सहमति लेने हेतु प्रेषित पत्र एंव चुनाव आयोग से प्राप्त सहमति पत्र एवं तत्सम्बन्धी पत्रावली की टिप्पणियों की सत्यापित प्रति मांगी गई थी । लोक सूचना अधिकारी अशोक पाण्डे की ओर से 7 जून को भेजे गये इसके जवाब में कहा गया है कि वांछित सूचना सम्बन्धी शासनादेश दिनांक 31-5-24 के पृष्ठांकन संख्या – 3 के माध्यम से मुख्य निर्वाचन अधिकारी उत्तराखण्ड को सूचित किया गया है ।
आरटीआई कार्यकर्ता रमेश चन्द्र पाण्डे ने कहा कि इससे यह साफ हो गया है कि चुनाव आयोग की सहमति लिये बिना सेवाविस्तार का आदेश जारी किया गया जो प्रत्यक्ष रूप से आदर्श चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन है । उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि महज सूचित करने हेतु पृष्ठाकिंत आदेश पर मुख्य निर्वाचन अधिकारी के स्तर से कोई एक्शन क्यों नहीं लिया गया ?