उत्तरायणी कौतिक में पहाड़ी संस्कृति से रूबरू हुए लोग, गीतों में थिरके
हल्द्वानी। पर्वतीय सांस्कृतिक उत्थान मंच हीरानगर में उत्तरायणी कौतिक अपने पूरे सबाब में है। गुरूवार चौथे दिन सांस्कृतिक संध्या में लोकगायिका आशा नेगी, आनंद कोरंगा व राकेश पनेरू के गीतों ने लोगों को पहाड़ी संस्कृति से रूबरू कराया तो लोग अपने को रोक ना सके और उनके गीतों में जमकर थिरके। वहीं एक ओर पहाड़ी उत्पादों की बिक्री तो दूसरी ओर पर्वतीय संस्कृति की धूम मची है।
गुरूवार को सुबह स्कूली बच्चों द्वारा चित्रकला प्रतियोगिता, कुमाऊं आण-काथ प्रतियोगिता, कुमाऊंनी कविता पाठ प्रतियोगिता आयोजित की गई। देर शाम मेले में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद निवर्तमान डा. जोगेन्द्र रौतेला व विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रांतीय उद्योग व्यापार मंडल के प्रदेश अध्यक्ष नवीन चन्द्र वर्मा ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर शुभारंभ किया। उत्तरायणी मेले में दिनभर काफी चहल पहल देखने को मिली। मेला परिसर में जहां व्यवसायियों में काफी उत्साह दिखाई दे रहा है, वहीं स्थानीय निवासियों में मेले को लेकर गजब का उत्साह बना हुआ है।
वहीं देर शाम सांस्कृतिक संध्या का भी लोग जमकर आनंद उठाया। मेले में लोकगायिका आशा नेगी ने मैं लागी सुवा घुट-घुट बाटुली मी लागी… हल्द्वाणी बै चली गाड़ी पुजगे भवाली…। तो वहीं लोक गायक आनंद कोरंगा ने बंसती रूम झूमा हरी भरी धुरा डाना जैरोली…। वहीं गायक राकेश पनेरू ने धूरा ए जाये रे घास बहाना ले पतलोटे की सुनीता… गीत गाकर अपनी आवाज का जादू बिखेरा। वहीं विभिन्न सांस्कृतिक दलों के कलाकारों ने कुमाऊंनी लोकनृत्य और गीत प्रस्तुत कर संस्कृति की अनूठी छटा बिखेरी।
इस मौके पर संरक्षक हुकुम सिंह कुंवर, अध्यक्ष खड़क सिंह बगड़वाल, उपाध्यक्ष गोपाल सिंह बिष्ट, महासचिव यूसी जोशी, सचिव देवेंद्र तोलिया, कोषाध्यक्ष त्रिलोक बनोली, शोभा बिष्ट, पुष्पा संभाल, मीमांशा आर्य, चंद्रशेखर परगाई, कमल किशोर, कमल जोशी, संदीप भैसोड़ा, सांस्कृतिक संयोजक मंजू बिष्ट दानू, खेल सयोजक लक्ष्मण सिंह मेहरा, मेला संयोजक पूरन भंडारी, हेम भट्ट, तरुण नेगी, ललित बिष्ट, रितिक आर्य, धर्म सिंह बिष्ट, नीरज बगड़वाल, यशपाल टम्टा आदि मौजूद रहे।