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सोशल इंजीनियरिंग फेल…….मोदी पर अधिक निर्भरता, चुनाव नतीजों से भाजपा के लिए 5 सबक

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 भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को इस लोकसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत तो नहीं मिला है, लेकिन 240 सीटों पर जीत दर्ज करके सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। अपने सहयोगियों के साथ मिलकर फिर एकबार सरकार बनाने के लिए तैयार है।

नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बनेंगे, जिन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान ‘अबकी बार, 400 पार’ का नारा दिया था। यह चुनाव बीजेपी के लिए एक बड़ी सबक है। हालांकि भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि 1984 के बाद भाजपा एकमात्र ऐसी पार्टी है जिसे तीसरी बार शासन करने का जनादेश मिला है।” वहीं, विपक्ष भाजपा की अपने दम पर पूर्ण बहुमत की सरकार रोकने का जश्न मना रहा है।

भाजपा के रणनीतिकारों ने पार्टी की कम होती ताकत के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग से मिले ठंडे समर्थन, जाति आधारित कोटा खत्म करने के इरादे के बारे में विपक्ष के बयानों पर काबू पाने में असमर्थता, महंगाई और नौकरी जाने के खिलाफ गुस्से को नियंत्रित करने में विफलता और विकास के विमर्श पर ध्रुवीकरण को हावी होने देने को जिम्मेदार ठहराया है।

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उत्तर प्रदेश में भगवा पार्टी का सबसे खराब प्रदर्शन रहा, जहां से सबसे ज्यादा सांसद संसद आते हैं। हरियाणा, राजस्थान, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल में भी काफी खराब प्रदर्शन रहा। पार्टी का मोदी पर अत्यधिक निर्भरता और सोशल इंजीनियरिंग पर बीजेपी ढीली पकड़ का असर नतीजों पर देखने को मिला है।

सोशल इंजीनियरिंग

ओबीसी ने भाजपा और मोदी को पूरा समर्थन दिया था। 2014 और 2019 में भी भाजपा की जीत में उनका बड़ा योगदान था। पार्टी के एक नेता ने कहा, “यूपी और राजस्थान जैसे राज्यों में ओबीसी का प्रतिरोध देखने को मिला है, जहां उन्होंने उच्च जाति के ठाकुरों के वर्चस्व पर प्रतिक्रिया व्यक्त की है। हरियाणा में पार्टी जाटों को शांत नहीं कर सकी। यहां जातिगत गठबंधन मजबूत नहीं थे।”

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इसके अलावा कांग्रेस के द्वारा बार-बार यह कहना कि भाजपा संविधान में बदलाव करेगी और जाति-आधारित कोटा खत्म करेगी, इस मुद्दे ने भी भगवा पार्टी को काफी नुकसान पहुंचाया। सामाजिक कल्याण योजनाओं के माध्यम से दलितों को लुभाने के उसके प्रयासों को विफल कर दिया। भाजपा नेता ने कहा कि भाजपा को एससी और ओबीसी समुदाय के प्रति अपने प्रयासों को नए सिरे से शुरू करना होगा और जातियों के गठबंधन को एक साथ लाने के अपने सामाजिक इंजीनियरिंग मॉडल को बनाए रखना होगा।

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एक दूसरे नेता ने कहा, “हरियाणा में भाजपा ने सरकार का नेतृत्व करने के लिए एक ऐसे चेहरे को चुना जो एक गैर-प्रमुख जाति से है। संभावना है कि पार्टी को इस नीति पर फिर से विचार करना पड़ सकता है।” आपको बता दें कि मनोहर लाल खट्टर को सीएम पद से हटाने के बाद पार्टी ने गैर-जाट समुदायों को एकजुट करने के लिए नायब सिंह सैनी को हरियाणा का नया मुख्यमंत्री नियुक्त किया था और उम्मीद थी कि इससे पार्टी एक दशक की सत्ता विरोधी लहर से उबर पाएगी। राज्य की सभी 10 सीटों पर जीत हासिल करने वाली भाजपा को 5 सीटें गंवानी पड़ीं।

हिल दर्पण डेस्क

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