श्रीकृष्ण जन्मभूमि व शाही ईदगाह विवाद मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट में बुधवार को सुनवाई हुई। वाद की पोषणीयता को लेकर हिंदू व मुस्लिम पक्ष की ओर से दलीलें दी जा रही हैं। हिंदू पक्ष के अधिवक्ताओं ने दलीलें दी कि इस मामले में वर्शिप एक्ट के अधिनियम लागू नहीं होंगे। साथ ही वक्फ एक्ट, लिमिटेशन एक्ट व आदेश 7 नियम 11 पर भी दलीलें दीं गईं।
शूट नंबर 9 व 16 में वादी की तरफ से आदेश 7 नियम 11 पर हरिशंकर जैन ने दलीलें दीं। साथ ही उन्होंने कहा कि वर्शिप एक्ट और परिसीमा अधिनियम की वैधानिकता को लेकर माननीय सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दिया गया है। लिहाजा संविधान के अनुसार यह निर्धारित किया गया है कि उनके प्रावधान प्रस्तुत मामले में लागू नहीं होंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि वक्फ एक्ट इस मामले में लागू नहीं होगा, क्योंकि वक्फ अधिनियम के अंतर्गत शाही ईदगाह का पंजीकरण नियमानुसार नहीं किया गया है।
वहीं इस दौरान शूट नंबर 13 की तरफ से अधिवक्ता रमा गोयल बंसल व अधिवक्ता राजेंद्र माहेश्वरी ने दलीलें पेश कीं। उन्होंने कहा कि भगवान की जमीन को कोई बेंच नहीं सकता और न ही इसका किसी भी तरह का समझौता किया जा सकता है। कहा कि उक्त जमीन ठाकुर देव की है और हमेशा उन्हीं की रहेगी। लगभग 13 एकड़ मंदिर का प्रबंधन देखने वाली संस्था ने शाही ईदगाह से समझौता कर लगभग ढाई एकड़ जमीन शाही ईदगाह को दे दी, यह अवैध है।
लिहाजा दोनों पक्षों की ओर से प्रस्तुत किए जाने वाले साक्ष्यों व दलीलों के आधार पर ही मामले को निस्तारित किया जा सकता है। ऐसे में अदालत से मामले को ट्रायल से निस्तारित करने की मांग की। वहीं, ””मासीरे आलम”” किताब का जिक्र करते हुए कहा कि मथुरा, काशी और अयोध्या में मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई हैं। उन्होंने कहा कि इस मामले में लिमिटेशन एक्ट, वक्फ एक्ट व वर्शिप एक्ट के प्रावधान लागू नहीं होंगे।
वहीं शूट नंबर 4 में आशुतोष पांडेय ने व्यक्तिगत तौर पर कोर्ट में आपत्ति की प्रतिआपत्ति दाखिल की। श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट के अधिवक्ता हरेराम त्रिपाठी व न्यायमित्र अधिवक्ता मार्कंडेय राय, वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर जैन व तसनीम अहमदी ने पक्ष रखा।