उत्तराखंड हाईकोर्ट ने गुरुवार को नैनीताल जिला पंचायत के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद के चुनाव में हुई गड़बड़ी, 5 जिला पंचायत सदस्यों के कथित अपहरण और मतपत्र में ओवरराइटिंग के मामले की सुनवाई की। मामला स्वतः संज्ञान में लिया गया जनहित याचिका के तहत आया था।
कोर्ट की खंडपीठ, जिसमें मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय शामिल थे, ने राज्य सरकार को जांच रिपोर्ट पेश करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया। अगली सुनवाई 17 दिसंबर को होगी। राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने कहा कि मामले में जांच चल रही है और यह अपराध से जुड़ा मामला है, इसलिए इसे जनहित याचिका के तहत नहीं देखा जा सकता।
मामला 14 अगस्त 2025 का है। उस दिन नैनीताल जिला पंचायत के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव के दौरान कुछ लोगों पर 5 जिला पंचायत सदस्यों के अपहरण का आरोप लगा था। इस चुनाव में भाजपा के जिला पंचायत अध्यक्ष उम्मीदवार की जीत घोषित की गई थी। कांग्रेस ने भाजपा पर उनके समर्थक सदस्यों को अपहरण करने का आरोप लगाया। हालांकि, बाद में 5 सदस्यों ने कोर्ट में बताया कि उन्हें किसी तरह का दबाव नहीं था।
इससे पहले बीडीसी सदस्य पूनम बिष्ट ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी। याचिका में आरोप था कि अध्यक्ष पद के चुनाव में एक मतपत्र में ओवरराइटिंग कर क्रमांक 1 को 2 कर दिया गया, जिससे वह अमान्य हो गया। उन्होंने जिलाध्यक्ष पद के लिए पुनः मतदान कराने की मांग की।
यह मामला प्रदेश में काफी चर्चा का विषय बना रहा। कांग्रेस ने नैनीताल एसएसपी पर कार्रवाई की मांग की थी और गैरसैंण विधानसभा सत्र के दौरान भी इसे उठाया गया, जिससे सत्र केवल कुछ घंटों के लिए ही आयोजित हो सका। हाईकोर्ट की अगली सुनवाई 17 दिसंबर को होगी, जिसमें जांच रिपोर्ट और आगे की कार्रवाई पर फैसला लिया जाएगा।


