उत्तराखंड पंचायत चुनाव के अंतिम परिणाम सामने आ चुके हैं, जिससे राज्य की पंचायत राजनीति की तस्वीर अब पूरी तरह स्पष्ट हो गई है। इस बार बीजेपी ने सबसे अधिक सीटें जीतकर बढ़त बनाई है, वहीं कांग्रेस ने भी दमदार प्रदर्शन किया है। खास बात यह रही कि निर्दलीय प्रत्याशियों ने भी बड़ी संख्या में सीटें जीतकर दोनों प्रमुख दलों की नींद उड़ा दी है।
राज्य निर्वाचन आयोग से प्राप्त आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, बीजेपी ने 122 सीटों पर विजय हासिल की, जबकि कांग्रेस के 80 उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की। इस बार 152 सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशी विजयी रहे हैं, जिनकी भूमिका आगे जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख के चुनाव में निर्णायक साबित हो सकती है।
पार्टियों की सीटों को लेकर दावा-प्रतिदावा
बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही अपने दावों को और मजबूत दिखाने में जुटी हैं। बीजेपी का कहना है कि उसके बागी उम्मीदवारों सहित 216 सीटों पर उसका प्रभाव है। वहीं कांग्रेस भी दावा कर रही है कि 160 सीटों पर उसके समर्थक विजयी हुए हैं, जिनमें कई निर्दलीय उनके संपर्क में हैं।
बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता मनवीर सिंह चौहान ने विश्वास जताया कि सभी नाराज प्रत्याशी दोबारा पार्टी की विचारधारा से जुड़ेंगे और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में आगे बढ़ेंगे।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा ने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि सत्ता का दुरुपयोग कर चुनाव जीतने की कोशिश की गई, लेकिन कांग्रेस ने अपने विचार और नीतियों से जनता के बीच जगह बनाई है।
निर्दलीयों का बढ़ता प्रभाव
प्रदेश भर में 152 निर्दलीय उम्मीदवारों की जीत ने राजनीतिक समीकरणों को पूरी तरह बदल दिया है। सबसे ज्यादा निर्दलीय गढ़वाल और कुमाऊं मंडल के जिलों से जीतकर आए हैं:
गढ़वाल मंडल:
उत्तरकाशी – 21
पौड़ी – 24
टिहरी – 18
रुद्रप्रयाग – 14
देहरादून – 10
कुमाऊं मंडल:
अल्मोड़ा – 18
नैनीताल – 18
पिथौरागढ़ – 11
बागेश्वर – 4
चंपावत – 3
उधम सिंह नगर – 11
जिलेवार प्रदर्शन
बीजेपी:
पौड़ी (14), चमोली (7), देहरादून (8), टिहरी (13), उत्तरकाशी (7), रुद्रप्रयाग (5), नैनीताल (7), अल्मोड़ा (13), पिथौरागढ़ (14), चंपावत (11), बागेश्वर (9), उधम सिंह नगर (12)
कांग्रेस:
देहरादून (12), टिहरी (14), पौड़ी (10), चमोली (4), उत्तरकाशी (—), रुद्रप्रयाग (2), नैनीताल (2), अल्मोड़ा (14), पिथौरागढ़ (7), बागेश्वर (6), चंपावत (1), उधम सिंह नगर (12)
दिग्गजों को झटका
इस चुनाव में कई बड़े नेताओं को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा है। नैनीताल से विधायक सरिता आर्या और लैंसडाउन से विधायक दलीप रावत के परिजन चुनाव हार गए। यहां तक कि कुछ मंत्री और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भी अपने बूथ तक नहीं बचा सके।
हालांकि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का गृह जनपद उधम सिंह नगर बीजेपी के लिए सबसे मजबूत किला साबित हुआ, जहां पार्टी ने 12 सीटें जीतकर मजबूती दिखाई।