नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में हुए पारिस्थितिक नुकसान की मरम्मत और पुनर्बहाली के लिए कड़े निर्देश दिए हैं। सोमवार, 17 नवंबर को मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने राज्य सरकार को टाइगर रिजर्व में अवैध निर्माण और पेड़ों की कटाई से हुए नुकसान की भरपाई करने का आदेश दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुख्य वन्यजीव वार्डन सुनिश्चित करेंगे कि रिजर्व में सभी अनधिकृत ढांचे तीन महीने के भीतर ध्वस्त किए जाएं। इसके लिए अधिकारियों को केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (Central Empowered Committee – CEC) की सलाह के अनुसार कार्रवाई करनी होगी।
पीठ ने उत्तराखंड द्वारा तैयार पारिस्थितिकी पुनर्स्थापना योजना (Ecological Restoration Plan) की निगरानी CEC को सौंपते हुए, राज्य सरकार से सख्त नियामक व्यवस्था सुनिश्चित करने को कहा। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अवैध पेड़ काटने की भरपाई और पर्यावरणीय सुधार के उपाय राज्य द्वारा तुरंत लागू किए जाएं।
मुख्य न्यायाधीश ने पर्यटन गतिविधियों पर भी निर्देश दिए और कहा कि अगर टूरिज्म को बढ़ावा देना है, तो वह इको-टूरिज्म होना चाहिए। इसके अलावा, तीन महीने के भीतर एक विशेष बाघ संरक्षण योजना (Tiger Conservation Plan) तैयार करने का आदेश भी दिया गया।
फैसले में यह भी कहा गया कि टाइगर सफारी और बचाव केंद्रों को नियमों के अनुरूप व्यवस्थित किया जाए। सफारी के पास उपचार और देखभाल केंद्र स्थापित किए जाएं और वाहनों की संख्या नियंत्रित की जाए। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि कोर एरिया में काम करने वाले कर्मचारियों और उनके परिवारों के साथ विशेष सावधानी बरती जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय में जोर देकर कहा कि उत्तराखंड सरकार को कॉर्बेट टाइगर रिजर्व की पारिस्थितिक स्थिति की मरम्मत और स्थायी सुधार के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने होंगे। विस्तृत आदेश आज दिन में सार्वजनिक किए जाएंगे।


