पाकिस्तान इन दिनों भीषण जल संकट का सामना कर रहा है। खरीफ फसलों की बुआई के इस अहम समय में देश के प्रमुख बांधों में पानी का स्तर तेजी से गिर रहा है। स्थिति तब और बिगड़ गई जब भारत ने हाल ही में सिंधु जल समझौते को स्थगित कर दिया।
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को कड़ा संदेश देते हुए यह फैसला लिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ कहा कि “खून और पानी साथ-साथ नहीं बह सकते।” इसके बाद पाकिस्तान के कई इलाकों में पानी को लेकर हाहाकार मच गया है।
सिंधु नदी प्रणाली प्राधिकरण (IRSA) के अनुसार, देश के दो बड़े डैम – मंगला (झेलम नदी पर) और तरबेला (सिंधु नदी पर) – में जल स्तर में करीब 50% की गिरावट आई है।
मंगला डैम की कुल क्षमता 5.9 मिलियन एकड़ फीट (MAF) है, लेकिन इसमें अब सिर्फ 2.7 MAF पानी बचा है। तरबेला डैम की क्षमता 11.6 MAF है, जिसमें फिलहाल 6 MAF से भी कम पानी है।
IRSA ने चेतावनी दी है कि पानी की यह कमी सिंचाई और बिजली उत्पादन दोनों को प्रभावित कर रही है।
भारत ने सिंधु जल समझौते के तहत मिलने वाले अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए *चेनाब नदी* के जल प्रवाह में भी कटौती कर दी है, जिससे पाकिस्तान के पंजाब और सिंध जैसे राज्यों में फसलों की बुआई संकट में आ गई है।
पानी की कमी को लेकर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ अंतरराष्ट्रीय मंचों पर लगातार इस मुद्दे को उठा रहे हैं और भारत से बातचीत की अपील कर चुके हैं। हालांकि भारत ने स्पष्ट किया है कि पाकिस्तान से बातचीत सिर्फ आतंकवाद और पीओके के मुद्दों पर ही होगी।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर जल्द हालात नहीं सुधरे, तो पाकिस्तान में खाद्य संकट भी गहरा सकता है। साथ ही, जलविद्युत उत्पादन घटने से उद्योग और आम जनजीवन पर भी असर पड़ सकता है।